अयोध्या: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने जा रहा है। मंगलवार (तीन जून) से मंदिर में द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की शुरुआत हो रही है। इस पावन अवसर पर मंदिर के प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना के साथ सात अन्य मंदिरों में भी देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। यह धार्मिक आयोजन गंगा दशहरा यानी 5 जून को अपने शिखर पर पहुंचेगा।
सोमवार को अनुष्ठान से पहले कलश यात्रा निकाली गई और प्रायश्चित पूजन के साथ धार्मिक क्रियाएं शुरू की गईं। यज्ञ मंडप के समक्ष लगभग ढाई घंटे तक चला यह पूजन आत्मा और स्थान की शुद्धि के लिए किया गया, जो वैदिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। पूजन का नेतृत्व वाराणसी से आए आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी, दिल्ली के उपाचार्य चंद्रभानु शर्मा, बस्ती से अमरनाथ ब्रह्मा, और अयोध्या के आचार्य पंडित प्रवीण शर्मा व पंडित इंद्रदेव मिश्र ने किया।
प्रतिमा को पंचगव्य से कराया जाएगा स्नान
पंडित प्रवीण शर्मा के अनुसार, हिंदू शास्त्रों में किसी भी देव प्रतिष्ठा से पहले प्रायश्चित जरूरी होता है। मूर्तियों को तराशते समय जो छेनी और हथौड़े से परिश्रम होता है, उसके लिए मूर्ति से क्षमा याचना कर उनका शुद्धिकरण किया जाता है। प्रतिमा को पंचगव्य (गाय के दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर) से स्नान कराया गया। वहीं, मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्र का भी वैदिक विधि से शुद्धिकरण हुआ, जिन्हें अब 5 जून तक कई संयमों का पालन करना होगा।
तीन और चार जून को प्रतिदिन सुबह 6:30 बजे से शुरू होकर 12 घंटे तक पूजा-अनुष्ठान होंगे। इसमें 1975 वैदिक मंत्रों के साथ अग्निहोत्र यज्ञ होगा। साथ ही रामरक्षा स्तोत्र, हनुमान चालीसा और अन्य भक्तिमय स्तुति पाठ किए जाएंगे। मुख्य समारोह 5 जून को गंगा दशहरा के पावन दिन संपन्न होगा, जिसमें राम दरबार (भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान) की भव्य प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसके अतिरिक्त राम मंदिर के प्रथम तल स्थित सात अन्य मंदिरों में भी देवताओं की मूर्तियों की प्रतिष्ठा होगी।