नई दिल्ली: अब केंद्र सरकार के अधिकारी आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं. केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों शामिल होने पर लगे बैन को हटा दिया है. बता दें कि 1966 में केंद्र में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा यह बैन लगाया गया था, जिसे अब 58 साल बाद केंद्र सरकार ने निरस्त कर दिया है.
क्यों लगाया गया था RSS पर प्रतिबंध?
सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस (RSS) से जुड़ने पर रोक का पहला आदेश 1966 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने जारी किया था. जिसको लेकर सरकार का तर्क था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजनीतिक रूप से प्रभावित है. इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि संघ (RSS) की वजह से कर्मचारियों की तटस्थता प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा यह धर्मनिरपेक्ष समाज के लिए उचित नहीं है.
उस वक्त (1966 में) केंद्र सरकार ने सिविल सेवा आचरण नियम (1964) का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगाया था. हालांकि, जब 1977 में केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी तो इस कानून को रद्द कर दिया गया था. लेकिन, जब 1980 में केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार बनी तो इस कानून को फिर से प्रभावी कर दिया गया. था.
निक्कर में आ सकती है नौकरशाही– बोले जयराम रमेश
बैन को हटाए जाने को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- “पीएम मोदी और आरएसएस के बीच संबंधों में कड़वाहट आई है. 58 साल बाद प्रतिबंध हटाया गया है. मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में आ सकती है.”
फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।
1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया… pic.twitter.com/17vGKJmt3n
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 21, 2024