नई दिल्ली: देश की शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हल्के मोटर वाहन (LMV) का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले व्यक्तियों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने व्यवस्था दी है कि एलएमवी का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को चलाने के हकदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, जिससे यह साबित हो सके कि देश में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए एलएमवी लाइसेंस धारक जिम्मेदार हैं। जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने प्रधान न्यायाधीश सहित चार न्यायाधीशों की ओर से फैसला लिखते हुए कहा कि यह मुद्दा हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारकों वाले चालकों की आजीविका से संबंधित है।
पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया फैसला
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ इस पर फैसला सुनाया। यह कानूनी सवाल दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों की तरफ से मुआवजे के दावों के विवादों का कारण बन रहा था, जिनमें एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस धारकों की तरफ से ट्रांसपोर्ट वाहन चलाए जा रहे थे।
बीमा कंपनियों का तर्क
बीमा कंपनियों का कहना है कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) और अदालतें उनके आपत्तियों की अनदेखी करते हुए उन्हें बीमा दावे का भुगतान करने के आदेश दे रही हैं। बीमा कंपनियों का कहना है कि अदालतें बीमा विवादों में बीमाधारकों के पक्ष में फैसला ले रही हैं।
तीन जजों की पीठ ने सुरक्षित रखा था फैसला
जस्टिस हृषिकेश रॉय, पी एस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा वाली पीठ ने इस मुद्दे पर 21 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जब केंद्र के वकील, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम, 1988 में संशोधन पर विचार-विमर्श लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है और इसलिए अदालत ने इस मामले को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। क्या लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) के ड्राइविंग लाइसेंस धारक को 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन को चलाने का अधिकार है, यही कानूनी सवाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।