लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीर बाल दिवस के अवसर पर धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले साहिबज़ादा फतेह सिंह और जोरावर सिंह की स्मृति में सहज पाठ सेवा कार्यक्रम में सहभागिता की। इस दौरान वे सिर पर गुरु ग्रंथ साहिब, माथे पर पकड़ी पहने नजर आए। गुरु ग्रंथ साहिब को मुख्यमंत्री ने अपने आवास में आसीन कराया। साथ ही गुरुद्वारे में मत्था भी टेका। इस अवसर पर दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और संसदीय कार्य मंत्री के साथ सिख समाज के लोग उपस्थित रहे।
बैसाखी के दिन की गई थी खालसा पंथ की स्थापना
सिख धर्म के 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने सन् 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। इनके चार बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह भी खालसा के हिस्सा थे। उस समय पंजाब पर मुगलों का शासन था। 1705 में मुगलों ने गुरु गोबिंद सिंह को पकड़ने के लिए पूरा जोर लगा दिया। इसकी वजह से उन्हें परिवार से अलग होना पड़ा। तब गोबिंद सिंह की पत्नी माता गुजरी देवी और उनके दो छोटे पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह को अपने रसोइए गंगू के साथ एक गुप्त जगह पर छुपना पड़ा, लेकिन गंगू ने लालच में आकर माता गुजरी और उनके पुत्रों का पता मुगलों को बता दिया।
मुगलों ने उन्हें बंधक बनाकर उन पर अत्याचार किए। उन्हें उनका धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करने लगे। गोबिंद सिंह के परिवार ने ऐसा करने से मना कर दिया। इस समय तक गोबिंद के दो बड़े बेटे मुगलों के खिलाफ जंग में शहीद हो चुके थे। तब 26 दिसंबर को मुगलों ने बाबा जोरावर साहिब और बाबा फतेह साहिब को दीवार में जिंदा चुनवा दिया। अपने पुत्रों के सहादत की खबर सुनकर माता गुजरी ने भी अपने प्राण त्याग दिए।
हर साल 26 दिसंबर को मनाया जाता है वीर बाल दिवस
गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों के इस बलिदान को याद करने के लिए साल 2022 में भारत सरकार ने हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की। तब से हर साल प्रदेश में मुख्यमंत्री आवास पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें सीएम योगी आदित्यनाथ खुद शामिल होते हैं।