नई दिल्ली: कोलकाता में महिला डाक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में देश भर के चिकित्सकों में उबाल है. विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. इसी बीच इंडियन मेडिकल एसोसिशन (IMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर पांच मांगें रखी हैं. तो दूसरी ओर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से डॉक्टरों के प्रदर्शन को लेकर हर दो घंटे में रिपोर्ट तलब की है.
मंत्रालय ने सभी राज्य की पुलिस से कहा है कि वे डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और अन्य लोगों के विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर हर दो घंटे में स्थिति रिपोर्ट उपलब्ध कराएं. इसको लेकर गृह मंत्रालय ने राज्य पुलिस बलों निर्देश जारी किया है और कहा है कि विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर सभी राज्यों की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर लगातार नजर रखी जानी चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यों ने 16 अगस्त से रिपोर्ट भेजनी शुरू कर दी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा किया, इससे यह सुनिश्चित होगा कि महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित रिपोर्ट समय पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि कोलकाता दुष्कर्म मामले में कई खामियां नजर आईं हैं. इसलिए ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में तेजी से कार्रवाई करने की जरूरत है.
Indian Medical Association (IMA) writes letter to Prime Minister Narendra Modi demanding his intervention on demands of the doctors pic.twitter.com/GLQuxqKa9L
— ANI (@ANI) August 17, 2024
ये भी लिखा गया है पत्र में
आईएमए ने पत्र में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में भीड़ की ओर से की गई तोड़फोड़ की भी जिक्र करते हुए डॉक्टरों की सुरक्षा पर चिंता जाहिर की है और कहा है कि डॉक्टर, खासकर महिलाएं, अपने पेशे की प्रकृति के कारण हिंसा के प्रति अधिक संवेदनशील हैं. इसी के साथ ही आईएमए ने पत्र में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पीएम द्वारा महिला सुरक्षा को लेकर दिए गए भाषण की सराहना की है.
इसी के साथ कहा है कि हम आपसे इस समय इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं. इससे न केवल महिला डॉक्टरों बल्कि कार्यस्थल पर काम करने वाली हर महिला को आत्मविश्वास मिलेगा. भारतीय डॉक्टरों में 60 प्रतिशत महिलाएं हैं. सभी स्वास्थ्य कर्मियों को कार्यस्थल पर शांतिपूर्ण माहौल, सुरक्षा और संरक्षा मिलनी चाहिए. हम अपनी मांगों को पूरा करने के लिए उचित उपाय सुनिश्चित करने के लिए आपके हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं.
जानें क्या हैं पांच मांगें?
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आईएमए ने मांग की है कि सभी अस्पतालों को सुरक्षा अधिकारों के साथ सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए. अस्पतालों के सुरक्षा प्रोटोकॉल हवाई अड्डे जैसे हों, सभी अस्पतालों में सीसीटीवी, सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाए.
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महामारी रोग अधिनियम 1897 में 2020 के संशोधन को स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति क्षति प्रतिषेध विधेयक,2019) के मसौदे में शामिल करते हुए एक केंद्रीय कानून बनाया जाए. इससे मौजूदा 25 राज्यों के कानूनों को मजबूती मिलेगी.
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पीड़ित परिवार को अपराध की जघन्यता के अनुसार उपयुक्त और गरिमापूर्ण मुआवजा दिया जाए.
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अपराध की सावधानीपूर्वक और पेशेवर जांच एक समयसीमा में सुनिश्चित किया जाए, ताकि न्याय मिल सके.
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पीड़िता द्वारा की जा रही 36 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट और सुरक्षित स्थानों की कमी और पर्याप्त आराम कक्षों की कमी निवासी डॉक्टर्स के कार्यकारी और रहने की स्थितियों की पूरी तरह से समीक्षा की जाए.