उत्तर प्रदेश, देश-दुनिया, राजनीति

Electoral Bond Scheme की जांच नहीं करेगी SIT, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Supreme Court में करनी है नौकरी तो जानें अप्लाई करने की क्या है योग्यता

Electoral Bond Scheme: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (2 अगस्त) को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की एसआईटी जांच कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। मुख्‍य न्‍यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि इसमें दखलंदाजी करना आर्टिकल 32 के तहत गलत और समय से पहले होगी।

शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि हम इस आधार पर आदेश नहीं दे सकते कि इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond Scheme) खरीदी कॉर्पोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच हुआ लेन-देन (क्विड प्रो क्वो) था। क्विड प्रो क्वो यानी किसी चीज के बदले कुछ देना या कुछ हासिल करना होता है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने ये भी कहा कि टैक्स असेसमेंट के मामलों की दोबारा जांच से अथॉरिटी के कामकाज पर भी असर पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कीं इनकी याचिकाएं | Electoral Bond Scheme 

सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) समेत चार याचिकाओं पर सुनवाई की थी। इनमें दावा किया गया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर राजनीतिक दलों, निगमों और जांच एजेंसियों के बीच स्पष्ट लेन-देन होता है। बता दें कि फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को निरस्‍त कर दिया था। साथ ही एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड तुरंत बंद करने का आदेश दिया था।

याचिका में क्‍या किया गया था दावा? | Electoral Bond Scheme Update

मार्च, 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond Scheme) का डेटा सामने आने के बाद यह याचिका लगाई गईं। इसमें दो मांगें रखी गई थीं। पहला- इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कॉर्पोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की जांच SIT से कराई जाए। SIT की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करें। दूसरी मांग थी कि आखिर घाटे में चल रहीं कंपनियों (शेल कंपनियां भी शामिल) ने पॉलिटिकल पार्टीज को कैसे फंडिंग की। अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि पॉलिटिकल पार्टियों से इलेक्टोरल बॉन्ड में मिली राशि वसूल करें, क्योंकि यह अपराध से जरिए कमाई गई राशि है।

याचिकाकर्ताओं का दावा था कि कंपनियों ने फायदे के लिए पॉलिटिकल पार्टियों को बॉन्ड (Electoral Bond Scheme News) के जरिए फंडिंग की। इसमें सरकारी काम के ठेके, लाइसेंस पाने, जांच एजेंसियों (CBI, IT, ED) की जांच से बचने और पॉलिसी में बदलाव शामिल है। याचिका में ये आरोप भी थे कि घटिया दवाइयां बनाने वाली कई फार्मा कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का उल्लंघन है।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *