Rahul Gandhi Politics: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को फैसला किया कि वह उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने रहेंगे. एक संक्षिप्त पत्रकार वार्ता में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और सांसद राहुल गांधी की मौजूदगी में यह ऐलान हुआ. इससे पहले कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) अध्यक्ष सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रियंका और राहुल ने एक बैठक भी की.
बैठक के बाद ही यह ऐलान किया गया कि राहुल के वायनाड संसदीय क्षेत्र खाली करने पर उनकी बहन प्रियंका वहां से चुनाव लड़ेंगी. साल 2019 में आधिकारिक तौर पर राजनीति में पदार्पण करने के बाद यह प्रियंका का पहला चुनाव होगा. इन सबके बीच यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी हारने और वायनाड जीतने वाले राहुल गांधी ने इस बार दक्षिण न जाकर उत्तर का रास्ता क्यों चुना?
लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 6 सीटें मिली हैं जिसमें अमेठी और रायबरेली भी शामिल है. इसके अलावा कांग्रेस ने सहारनपुर, सीतापुर, इलाहाबाद और बाराबंकी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर जीत दर्ज की है. इस चुनाव में कांग्रेस ने इंडिया अलायंस के झंडे तले समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ा था. कांग्रेस की सहयोगी दल सपा को 37 सीटें मिली हैं.
2027 चुनाव के लिहाज से अहम है ये फैसला
साल 2027 में यूपी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है. रायबरेली चुनने के बाद एक निजी टीवी चैनल से वार्ता में राहुल गांधी ने यूपी में मिली सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश का जो रिजल्ट आया है उसने देश की राजनीति बदली है. पहले जो नफरत की राजनीति हो रही थी, उसका जवाब यूपी की जनता ने दिया है. बीजेपी का अयोध्या में हारना एक सीधा मैसेज है कि जो नफरत उन्होंने (बीजेपी) फैलाई उसका जवाब यूपी और देश की जनता ने दिया है. राहुल ने कहा कि अब लड़ाई यूपी में होगी. चुनाव आ रहे हैं यूपी में. हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है. हमें लगता है कि यूपी में हमारा बहुत अच्छा प्रदर्शन होगा.
ऐसा माना जा रहा है कि वह साल 2027 के विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरेगी. आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2022 में सिर्फ 2 विधानसभा सीट जीतने वाली कांग्रेस, 2024 के चुनाव के लिहाज से 40 सीटों पर आगे है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि वह अगले ढाई सालों के भीतर पार्टी का संगठन और मजबूत कर के इस संख्या को आगामी विधानसभा चुनाव में और बढ़ा सके. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के नजरिए से देखें तो कांग्रेस सिर्फ 9 विधानसभा सीटों पर आगे थी.
यूपी में राहुल की मौजूदगी कांग्रेस को करेगी मजबूत!
यूपी में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी की मौजूदगी, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ अलायंस को और मजबूती देगी. इसके अलावा कांग्रेस अपने सांगठनिक आधार पर ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है. कांग्रेस की योजना होगी कि वह जनता के बीच ज्यादा से ज्यादा पहुंचकर उन वोटों में सेंधमारी करे जिनको लेकर भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी आश्वस्त है. कांग्रेस की कोशिश होगी कि वह बसपा और बीजेपी के वोटबैंक को अपने अलायंस की ओर ला सके ताकि वह सपा के साथ राज्य में सरकार बनाने का अपना सात साल पुराना सपना 2027 में साकार कर सके.