UP News: बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मनुस्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव को लेकर बयान दिया है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मनुस्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव को रद्द करना एक स्वागत योग्य फैसला है। बाबा साहेब ने जिस संविधान की रचना की, वो मनुस्मृति से कतई मेल नहीं खाता है।
मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा कि भारतीय संविधान के मान-सम्मान व मर्यादा तथा इसके समतामूलक एवं कल्याणकारी उद्देश्यों के विरुद्ध जाकर दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मनुस्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव का तीव्र विरोध स्वाभाविक तथा इस प्रस्ताव को रद्द किए जाने का फैसला स्वागत योग्य कदम है।
1. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) द्वारा हरियाणा की प्रमुख पार्टी इण्डियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ गठबंधन का उद्देश्य भाजपा/एनडीए तथा कांग्रेस व इनके इण्डी गठबंधन को आगामी विधानसभा चुनाव में हराकर राज्य के इनसे दूखी लोगों व किसानों आदि को इन जनविरोधी पार्टियों से बचाया जा सके।
— Mayawati (@Mayawati) July 12, 2024
डीयू में मनुस्मृति पढ़ाने का हुआ था प्रबल विरोध
बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि परमपूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने खासकर उपेक्षितों व महिलाओं के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ ही मानवतावाद एवं धर्मनिरपेक्षता को मूल में रखकर सर्व स्वीकार भारतीय संविधान की संरचना की, जो मनुस्मृति से कतई मेल नहीं खाता है। अतः ऐसा कोई प्रयास बिल्कुल उचित नहीं। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति पढ़ाए जाने की बात की गई थी, जिसका प्रबल विरोध हुआ था।
3.बीएसपी-इनेलो गठबंधन को लोग तीसरे मोर्चे के रूप में स्वीकार कर रहे हैं क्योंकि भाजपा व कांग्रेस का जातिवादी, साम्प्रदायिक, आरक्षण व संविधान-विरोधी चाल-चरित्र-चेहरे को लोगों ने देख लिया है तथा अब वे चौधरी देवीलाल व मान्यवर श्री कांशीराम जी का मानवतावादी सपना साकार करना चाहते हैं।
— Mayawati (@Mayawati) July 12, 2024