UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध धर्मांतरण को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एससी/एसटी और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का ईसाई धर्म में अवैध धर्मांतरण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। लालच देकर धर्म बदलने का खेल जारी रहा तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी।
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत हमीरपुर के मौदहा निवासी आरोपी कैलाश की जमानत याचिका खारिज करते हुए की। कैलाश पर अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने की धाराओं में केस दर्ज कराया गया था। शिकायतकर्ता रामकली प्रजापति ने एफआईआर में कहा था कि उसके भाई रामफल को कैलाश घर से दिल्ली में एक सामाजिक समारोह में भाग लेने के लिए ले गया था। इस समारोह में गांव के कई और लोगों को भी ले जाया गया। बाद में सभी को लालच देकर ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया। बकौल रामकली, उनका भाई मानसिक रूप से बीमार चल रहा था।
अधिवक्ताओं ने क्या दलील दी?
इस मामले में गिरफ्तारी के बाद कैलाश के वकील ने दलील दी कि आवेदक ने शिकायतकर्ता के भाई का धर्मांतरण नहीं किया था। पादरी सोनू ने कार्यक्रम का आयोजन किया था और उसी ने सभी का धर्म परिवर्तन कराया, उसे जमानत पर रिहा किया जा चुका है। राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने दलील दी कि ऐसी सभाओं का आयोजन कर बड़े पैमाने पर लोगों को ईसाई बनाया जा रहा है। कैलाश गांव से लोगों को ले जाकर ईसाई धर्म में परिवर्तित कराने में शामिल रहा है, उसे इसके बदले बहुत पैसा दिया गया था।
हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25 किसी को भी स्वेच्छा से धर्म चुनने की आजादी देता है, लेकिन लालच देकर किसी का धर्म परिवर्तन करने की इजाजत नहीं देता। अपने धर्म का प्रचार करने का अर्थ किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति को अपने धर्म में परिवर्तित कराना नहीं है।