लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले छह महीने के लिए किसी भी प्रकार की हड़ताल पर पाबंदी लगा दी गई है। योगी सरकार ने अपने अधीन विभागों, निगमों और प्राधिकरणों में छह माह के लिए हड़ताल पर पाबंदी लगाई है। इस संबंध में प्रमुख सचिव, कार्मिक, एम. देवराज की ओर से शुक्रवार को अधिसूचना जारी की गई। माना जा रहा है कि यह प्रतिबंध निजीकरण के खिलाफ बिजली विभाग के कार्मिकों की संभावित हड़ताल को देखते हुए लगाया गया है।
जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 के तहत अगले छह माह तक हड़ताल निषिद्ध रहेगी। उत्तर प्रदेश राज्य के कार्यकलापों के संबंध में किसी लोकसेवा और राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण वाले निगमों व स्थानीय प्राधिकरणों में यह प्रतिबंध लागू होगा।
संगठनों ने आंदोलन तो प्रबंधन ने दी कार्रवाई की चेतावनी
पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। उनका साफ कहना है कि प्राइवेट पब्लिक पार्टनशिप (PPP) मॉडल के दूरगामी परिणाम कार्मिकों ही नहीं प्रदेश की आर्थिक सेहत के लिए भी हानिकारक होंगे। दूसरी ओर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने हड़ताल पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।
उधर, पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने के मसले पर विभिन्न श्रम संघ एक मंच पर आ गए हैं। शुक्रवार (6 दिसंबर) को हुई बैठक में निजीकरण का हर हाल में विरोध करने का फैसला लिया गया। उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों के श्रम संघों के शीर्ष पदाधिकारियों ने मांग की है कि जनहित और बिजली कार्मिकों के हित में निजीकरण का फैसला वापस लिया जाए। यह भी संकल्प लिया गया कि निजीकरण के विरोध में होने वाले आंदोलन का समर्थन करेंगे। संयुक्त बैठक की अध्यक्षता जेएन तिवारी ने की। इस दौरान केएमएस मगन, विजय विद्रोही, चन्द्रशेखर, कमल अग्रवाल, प्रेमनाथ राय, अफीफ सिद्दीकी, नरेंद्र प्रताप सिंह, विजय कुमार बन्धु, प्रेमचंद्र आदि मौजूद रहे।