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“देश की संपत्ति कुछ लोगों के हाथों में हैं, जबकि अधिकतर लोग दो वक्त की रोटी…”

“देश की संपत्ति कुछ लोगों के हाथों में हैं, जबकि अधिकतर लोग दो वक्त की रोटी…”

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई का एक बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने इस बयान में कहा है, “देश की संपत्ति कुछ लोगों के हाथों में हैं, जबकि अधिकतर लोग दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे हैं.” इसी के साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि समाज की असमानताओं को मिटाना होगा नहीं हो लोकतंत्र की इमारत ढह जाएगी.

शुक्रवार को उन्होंने केरल हाईकोर्ट की ओर से शुरू की गई निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट संबंधी देश की पहली डिजिटल अदालत के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस मौके पर उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि देश की पूरी संपत्ति कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित है, जबकि अधिकतर लोग दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे हैं. इसी के साथ ही उन्होंने बाबा साहब अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि इन असमानताओं को मिटाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा वरना लोकतंत्र की यह इमारत ढह जाएगी जिसे हमने इतनी मेहनत से बनाया है.

कई श्रेणियों में विभाजित है समाज

जस्टिस बीआर गवई ने ये भी कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने राजनीतिक धरातल पर हमें एक व्यक्ति-एक वोट का प्रावधान करके समानता और न्याय दिलाया लेकिन आर्थिक और सामाजिक न्याय असमानता के बारे में क्या? हमारे पास एक ऐसा समाज है जो कई श्रेणियों में विभाजित है, जहां व्यक्ति एक श्रेणी से दूसरी श्रेणी में नहीं जा सकता. आर्थिक धरातल पर हमारे पास एक ऐसा समाज है जहां देश की पूरी संपत्ति कुछ ही हाथों में केंद्रित है और अधिकतर लोगों के लिए दिन में दो बार भोजन करना भी मुश्किल है. इसलिए हमें असमानता मिटाने के लिए काम करना चाहिए.

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