बहराइच: बहराइच जिले के रामगोपाल हत्याकांड मामले में दोषी सरफराज को फांसी की सजा सुनाई गई है। जबकि, नौ दोषियों को आजीवन करावास की सजा सुनाई गई। साथ ही एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। घटना 13 अक्टूबर, 2024 की है। जब दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान रामगोपाल की हत्या कर दी गई थी।
इससे पहले बुधवार को आए फैसले में अदालत ने मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद, उसके तीनों पुत्रों फहीम, सरफराज उर्फ रिंकू और तालिब उर्फ सबलू सहित 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था। गुरुवार दोपहर बाद इन्हें कोर्ट में पेश किया गया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे। केस को लेकर कचहरी परिसर में सुबह से ही गहमागहमी रही।
कचहरी में दिनभर तनाव और उत्सुकता
सजा का फैसला आने से पहले कचहरी परिसर में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। स्थानीय लोग, मृतक पक्ष के परिजन और वकील लगातार कोर्ट की कार्रवाई पर नजर रखे हुए थे। सभी की निगाहें अदालत द्वारा सुनाई जाने वाली सजा पर टिकी रहीं। फैसला आने के बाद लोगों में चर्चाएं तेज हो गईं।
समझिए पूरा मामला
रामगोपाल हत्याकांड को 14 महीने पूरे होने वाले हैं। यह वही घटनाक्रम है, जिसने दशहरे जैसे पावन पर्व पर पूरे जिले को हिंसा की आग में झोंक दिया था। पीएसी तैनात हुई, रैपिड एक्शन फोर्स को उतारा गया। डीएम-एसपी खुद डटीं। इसके बाद भी हालात नियंत्रित नहीं हुए। मुख्यमंत्री योगी ने हस्तक्षेप किया और यूपी एटीएस चीफ अमिताभ यश को जिम्मेदारी सौंपी, तब धीरे-धीरे हालात सामान्य होने शुरू हुए।
13 अक्टूबर का जिक्र करते ही रामगोपाल की मां मुन्नी देवी टूट जाती हैं। कुछ बोलती नहीं…आखों से आंसू फूट पड़ते हैं। सिसकियों के बीच बेटे का नाम लेती रहती हैं। पत्नी रोली मिश्रा की आंखें न्याय के इंतजार में पथरा गई हैं। बेटे की हत्या के बाद से ही पिता कैलाश नाथ मिश्र की तबीयत खराब चल रही है। पिता अभी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं। सांस लेने में तकलीफ है। बड़े बेटे हरमिलन मिश्र उनकी देखभाल में जुटे हैं। रामगोपाल की हत्या के बाद हरमिलन ही परिवार का सहारा हैं।
ये पुलिस अधिकारी हुए थे निलंबित
अपर पुलिस अधीक्षक डीपी तिवारी ने बताया कि घटना के दूसरे दिन हरदी एसओ सुरेश कुमार वर्मा और महसी चौकी इंचार्ज शिव कुमार सरोज को निलंबित कर दिया गया था। तीन दिन बाद सीओ रुपेंद्र गौड़ पर सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही के आरोप में कार्रवाई की गई। मामले में विभागीय जांच अब अंतिम चरण में है। निष्क्रियता और लापरवाही के आरोप में सभी पर शीघ्र ही कार्रवाई हो सकती है।