उत्तर प्रदेश, राजनीति

राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन, सीएम योगी ने जताया दु:ख

राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन, सीएम योगी ने जताया दु:ख

अयोध्‍या: अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार (12 फरवरी) को निधन हो गया। 80 वर्षीय सत्‍येंद्र दास ने आज सुबह 7 बजे लखनऊ पीजीआई अंतिम सांस ली। अस्पताल ने इसकी पुष्टि की है। उन्हें 3 फरवरी को एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था और स्ट्रोक आने के बाद वह न्यूरोलॉजी वार्ड एचडीयू में थे।

पीजीआई निदेशक डॉक्टर आरके धीमान के मुताबिक, डॉक्टर्स की निगरानी में लगातार उनका इलाज चल रहा था। ब्रेन स्ट्रोक के अलावा सत्येंद्र दास को कई अन्य बीमारियां भी थीं। काफी प्रयास के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कुछ दिन पहले पहुंचकर उनका कुशलक्षेम पूछा था।

आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा पार्थिव शरीर

आचार्य सत्येंद्र दास का पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जाएगा। उनके आश्रम सत्य धाम गोपाल मंदिर में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। सत्येंद्र दास 32 साल से रामजन्मभूमि में बतौर मुख्य पुजारी सेवा दे रहे थे। 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी विध्वंस के समय वे रामलला को गोद में लेकर भागे थे।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय और मंदिर व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों ने मुख्य अर्चक के देहावसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। राम मंदिर भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी और अयोध्या राज परिवार के अगुवा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र और गोपाल जी ने निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी है।

सीएम योगी ने भी जताया शोक

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी श्रीराम मंदिर अयोध्या के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के निधन पर दुख जताया है। सीएम योगी ने लिखा कि परम रामभक्त, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र कुमार दास महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं सामाजिक व आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!

संत कबीरनगर में जन्मे, अयोध्या में बीता जीवन

सत्येंद्र दास का जन्म संतकबीरनगर जिले में 20 मई, 1945 में हुआ था। यह जिला अयोध्या से 98 किमी दूर है। वे बचपन से ही भक्ति भाव में रहते थे। उनके पिता अक्सर अयोध्या जाया करते थे, वह भी अपने पिता के साथ अयोध्या घूमने जाते थे।

अयोध्या में उनके पिता अभिराम दास जी के आश्रम में आते थे। सत्येंद्र दास भी अभिराम जी के आश्रम में आने लगे थे। अभिराम दास वही थे, जिन्होंने राम जन्मभूमि में 22-23 दिसंबर 1949 में गर्भगृह में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी की मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था। इन्हीं मूर्तियों के आधार पर आगे की लड़ाई लड़ी गई। मूर्तियों के प्रकट होने के दावे और अभिराम दास जी की रामलला के प्रति सेवा देखकर सत्येंद्र दास बहुत प्रभावित हुए। उन्हीं के आश्रम में रहने के लिए उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया।

सत्येंद्र दास ने 1958 में घर छोड़ दिया। उनके परिवार में दो भाई और एक बहन थीं। बहन का निधन हो चुका है। सत्येंद्र दास ने जब अपने पिता को संन्यास लेने का फैसला सुनाया तो उनके पिता ने भी कोई आश्चर्य जाहिर नहीं किया। साथ ही उन्होंने आशीर्वाद दिया। कहा- मेरा एक बेटा घर संभालेगा और दूसरा रामलला की सेवा करेगा।

संस्कृत से आचार्य किया, फिर टीचर बने

अभिराम दास के आश्रम में पहुंचने के बाद सत्येंद्र दास ने संस्कृत की पढ़ाई शुरू कर दी। गुरुकुल पद्धति से पढ़ने के बाद 12वीं तक की संस्कृत से ही पढ़ाई पूरी की। संस्कृत से आचार्य किया। पूजा-पाठ करते-करते अयोध्या में नौकरी की तलाश शुरू कर दी। ये तलाश पूरी 1976 में हुई। उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक टीचर की नौकरी मिल गई। उस समय 75 रुपए तनख्वाह मिलने लगी। इस दौरान वे राम जन्मभूमि भी आया जाया करते थे। इस तरह पूजा का काम भी चल रहा था और स्कूल का भी। तब उन्हें बतौर पुजारी सिर्फ 100 रुपए तनख्वाह मिलती थी। जब 30 जून 2007 को वे अध्यापक के पद से रिटायर हए, तो उन्हें फिर यहां 13 हजार रुपये तनख्वाह मिलने लगी। सहायक पुजारियों को 8000 रुपये तनख्वाह मिल रही थी।

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