Gandhi Family Political History: राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट छोड़ने का एलान कर दिया है और अब वायनाड से प्रियंका गांधी अपनी चुनावी पारी की शुरुआत करने जा रही हैं। चुनावी राजनीति में एंट्री लेने वाली प्रियंका गांधी, गांधी परिवार की चौथी महिला और 10वीं सदस्य हैं। साथ ही प्रियंका, गांधी परिवार की पहली सदस्य हैं, जो दक्षिण भारत से अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने जा रही हैं। आइए जानते हैं गांधी परिवार का सियासी सफर-
पंडित जवाहर लाल नेहरू
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के पिता भी राजनीति में थे, लेकिन वह आजाद भारत से पहले कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। पंडित नेहरू भी साल 1912 में ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे, लेकिन पंडित नेहरू की चुनावी पारी का आगाज आजाद भारत की पहली लोकसभा के लिए हुए चुनाव से हुआ। उस वक्त पंडित नेहरू की उम्र 62 साल थी। पंडित नेहरू 1947 में देश की आजादी से लेकर अगले 16 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे।
इंदिरा गांधी
जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी ने भी कांग्रेस की केंद्रीय कार्यसमिति की सदस्य के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी, लेकिन उनकी चुनावी राजनीति की शुरुआत साल 1967 में रायबरेली सीट से चुनाव लड़कर की। इंदिरा गांधी ने साल 1966-77 तक और फिर साल 1980-84 तक देश की प्रधानमंत्री के रूप में काम किया।
फिरोज गांधी
इंदिरा के पति फिरोज गांधी स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे और देश के पहले आम चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर प्रतापगढ़-रायबरेली सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। साल 1957 में देश के दूसरे आम चुनाव में भी वह रायबरेली सीट से सांसद चुने गए।
संजय गांधी
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी युवावस्था से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे और आपातकाल के बाद वे उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इसके बाद साल 1980 के आम चुनाव में फिर से संजय गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा और चुनाव जीतकर सांसद बने।
मेनका गांधी
संजय गांधी ने मेनका गांधी से 1974 में शादी की थी। दोनों की शादी के छह साल बाद उनका एक बेटा पैदा हुआ- वरुण गांधी। जब संजय गांधी का निधन हुआ तो उस वक्त वरुण केवल तीन महीने के थे। संजय गांधी के निधन के बाद इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के बीच संबंध ठीक नहीं रहे, जिसके बाद मेनका गांधी ने घर छोड़ दिया और कांग्रेस से इतर अपनी सियासी पारी शुरू की। मेनका गांधी ने राष्ट्रीय संजय मंच नाम से अलग पार्टी बनाई और 1984 के आम चुनाव में हिस्सा लिया। उस चुनाव में मेनका गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद मेनका गांधी जनता दल में शामिल हो गईं और पीलीभीत सीट से दो बार सांसद रहीं। मेनका गांधी ने 1998 में पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता। अब मेनका गांधी भाजपा में हैं और 2024 का चुनाव सुल्तानपुर से हार गईं।
राजीव गांधी
संजय गांधी की मौत के बाद साल 1981 में हुए अमेठी उप-चुनाव में राजीव गांधी ने जीत हासिल कर अपनी चुनाव पारी का आगाज किया। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। साथ ही वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए। दिसंबर 1984 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने राजीव गांधी के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत हासिल किया और तत्कालीन 514 लोकसभा सीटों में से 404 पर जीत हासिल की थी। हालांकि बोफोर्स घोटाले में नाम आने की वजह से 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार हुई। हालांकि गठबंधन राजनीति की मजबूरियों के चलते साल 1991 में फिर आम चुनाव हुए, लेकिन इन्हीं आम चुनाव में प्रचार के दौरान राजीव गांधी की हत्या कर दी गई।
सोनिया गांधी
राजीव गांधी ने 1968 में सोनिया गांधी से शादी की थी। राजीव गांधी से शादी के कई साल बाद 1983 में सोनिया गांधी ने भारत की नागरिकता ली। साल 1997 में वे कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य बनीं और साल 1998 में पार्टी की अध्यक्ष चुनी गईं। सोनिया गांधी ने साल 1999 में पहली बार कांग्रेस की पारंपरिक अमेठी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा। साल 2004 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में यूपीए ने केंद्र में सरकार बनाई और 10 साल तक सत्ता में रहीं। अमेठी के बाद सोनिया गांधी साल 2004 में रायबरेली से सांसद चुनी गईं और 2024 तक यहां से सांसद रहीं। फिलहाल वह राज्यसभा सदस्य हैं।
राहुल गांधी
राहुल गांधी की चुनावी पारी का आगाज साल 2004 में हुआ, जब वह अमेठी से सांसद चुने गए। इसके बाद वह लगातार तीन लोकसभा चुनाव में अमेठी से सांसद चुने गए। 2019 में उन्हें भाजपा की स्मृति ईरानी के सामने हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2019 के चुनाव में ही वह केरल की वायनाड सीट से सांसद चुने गए। 2024 के चुनाव में भी राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली सीट से चुनाव लड़े और दोनों जगह से जीते।
वरुण गांधी
वरुण गांधी की राजनीतिक की शुरुआत 2004 में भाजपा की सदस्यता के साथ हुई और जल्द ही वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बन गए। महज 29 साल की उम्र में वरुण गांधी पीलीभीत सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद वरुण गांधी सुल्तानपुर सीट से सांसद चुने गए। 2024 के चुनाव में भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट काट दिया था।