नई दिल्ली: भारतीय चुनाव आयोग (ECI) देशभर में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR (सामान्य शब्दों में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन) करने की तैयारी में है। इसको लेकर दिल्ली में 10 सितंबर को बैठक होगी। न्यूज एजेंसी PTI ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि बैठक में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) शामिल होंगे। इसमें देशभर में SIR कराने को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी।
यह मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के फरवरी में पद संभालने के बाद तीसरी बैठक होगी। चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार के बाद वोटर लिस्ट जांच की प्रक्रिया पूरे देश में लागू की जाएगी। साल के आखिरी में इसकी शुरुआत हो जाएगी, जिससे 2026 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को अपडेट किया जा सके।
बिहार SIR: एक महीने में करीब 3 करोड़ वोटर्स का वेरिफिकेशन हुआ
2.93 करोड़ वोटर्स का वेरिफिकेशन
चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा की।
वेरिफिकेशन का काम 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच हुआ। 1 अगस्त को चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट कॉपी जारी कर बताया कि SIR के तहत बिहार में 65.64 लाख वोटरों के नाम कटे हैं।
आयोग के अनुसार, इसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना और अवैध मतदाताओं, जैसे विदेशी नागरिकों, मृत व्यक्तियों या स्थानांतरित लोगों को हटाना था।
जरूरी बात: जिन वोटर का SIR साल 2003 की प्रक्रिया में हो चुका है, उनको किसी तरह के दस्तावेज की जरूरत नहीं है। इसके चलते करीब 60 फीसदी यानी 4.96 करोड़ वोटर्स को कोई दस्तावेज नहीं देना होगा।
चुनाव आयोग के मुताबिक, बिहार में कुल 7 करोड़ 80 लाख 22 हजार 933 मतदाता हैं।
वोटर्स का वेरिफिकेशन- 2.93 करोड
वोटर लिस्ट से बाहर- 65 लाख
SIR का मकसद- वोटर लिस्ट को अपडेट करना
चुनाव आयोग के मुताबिक, SIR का उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना और अवैध मतदाताओं जैसे विदेशी नागरिकों, मृत व्यक्तियों या स्थानांतरित लोगों को हटाना है। इस बीच कई राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार से आए प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है।
वोटर लिस्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए 2 तरीके
- पहला: बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर, एक प्री-फील्ड फॉर्म गणना प्रपत्र (मतदाता की जानकारी और दस्तावेज) लेकर जाएंगे।
- दूसरा: कोई भी व्यक्ति चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर यह फॉर्म डाउनलोड करके उसे भर सकता है।
स्क्रीनिंग के 4 नियम
- वोटर का नाम अगर 2003 की लिस्ट में है तो कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। सिर्फ फॉर्म भरना होगा।
- 1 जुलाई, 1987 से पहले जन्म हुआ है तो जन्मतिथि या जन्मस्थान प्रमाण देना होगा।
- 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्म हुआ तो जन्मतिथि और जन्मस्थान दोनों का प्रमाण देना होगा।
- 2 दिसंबर, 2004 के बाद जन्मे हैं तो जन्मतिथि, जन्मस्थान का प्रमाण और माता-पिता के दस्तावेज देने होंगे।