लखनऊ: कासगंज हिंसा के दौरान चंदन गुप्ता की हत्या के मामले में लखनऊ की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अदालत ने 28 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। पहली बार तिरंगे के अपमान और हत्या के इस मामले में इतनी बड़ी संख्या में दोषियों को सजा दी गई। जस्टिस विवेकानंद त्रिपाठी ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि तिरंगे का अपमान और हत्या जैसे अपराध किसी भी तरह की माफी के योग्य नहीं हैं।
न्यायाधीश विवेकानंद ने फैसले में कहा कि यह घटना केवल हत्या नहीं, बल्कि भारत के संविधान और राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है। तिरंगे का अपमान हर भारतीय के लिए असहनीय है। ऐसे मामलों में माफी या राहत की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती। 54 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषियों की सजा में किसी भी तरह की नरमी दिखाना राष्ट्रीय सम्मान के खिलाफ होगा।
सरकारी वकील और चंदन गुप्ता का परिवार खुश
चंदन गुप्ता के भाई विवेक गुप्ता ने कहा कि यह फैसला हमारे परिवार और हर भारतीय के लिए न्याय की जीत है। मेरा भाई तिरंगे के सम्मान के लिए शहीद हुआ। न्यायालय ने आज यह साबित कर दिया कि ऐसे अपराधियों के लिए कोई माफी नहीं। वहीं, सरकारी वकील एमके सिंह ने कहा कि यह मेरे वकालत के इतिहास का पहला मामला है, जहां इतने दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई। तिरंगे के अपमान और हत्या जैसे अपराध में सख्त सजा देना न्याय की जीत है।
कासगंज थाने में तैनात पेशकार की अहम भूमिका
कासगंज हिंसा में चंदन गुप्ता मौत के मामले में नियुक्त किए गए यूपी पुलिस के पेशकार राम कौशिक ने इस केस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 18 सरकारी गवाहों को समय पर अदालत में पेश करने में दिन-रात मेहनत की। साल 2024 में सप्ताह में दो दिन केस लगता था। केस में बयान और गवाह को मौजूद रहना पड़ता था। इसके लिए समय पर पेशकार राम कौशिक के द्वारा गवाहों को बयान के लिए नोटिस शामिल करना और उन्हें बयान के लिए मौजूद रहने की कोशिश की जा रही थी। सरकारी वकील एमके सिंह ने कहा कि अगर गवाह समय पर नहीं आते तो यह केस लंबा खिंच सकता था।
फैसले के तीन अहम बिंदु
- 28 दोषियों को उम्रकैद– यह पहली बार हुआ है, जब हत्या के एक ही मामले में इतनी बड़ी संख्या में दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
- न्यायालय ने तिरंगे के अपमान को संविधान और देश की अस्मिता पर हमला बताया।
- केस की सफलता में पेशकार राम कौशिक और 18 सरकारी गवाहों की अहम भूमिका रही।
ये था पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में साल 2018 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) कार्यकर्ता चंदन गुप्ता की 26 जनवरी, 2018 को चंदन गुप्ता की हत्या कर दी गई थी। उसकी मौत के बाद कासगंज में दंगे हुए थे। हालात इतने खराब हो गए थे कि प्रशासन को इंटरनेट बंद करना पड़ा था। करीब एक सप्ताह तक कासगंज में जगह-जगह दंगे हुए थे।