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CJI बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील ने कहा- जो किया, अफसोस नहीं

CJI बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले वकील ने कहा- जो किया, अफसोस नहीं

नई दिल्‍ली: चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने वाले एडवोकेट राकेश किशोर कुमार ने अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि मैं हिंसा के खिलाफ हूं, लेकिन एक अहिंसक, सीधा-सच्चे आदमी, जिस पर कोई केस नहीं, किसी ग्रुप से नहीं जुड़ा, उसे ये क्यों करना पड़ा, ये सोचने वाली बात है। मैं कम पढ़ा लिखा आदमी नहीं हूं। Msc, Phd, LLB किया है, गोल्ड मेडलिस्ट हूं।

वकील राकेश किशोर ने कहा, सीजेआई के भगवान विष्णु पर दिए बयान से मैं आहत हूं। उनके एक्शन (टिप्पणी) पर ये मेरा रिएक्शन था। मैं नशे में नहीं था। जो हुआ, मुझे उसका अफसोस नहीं, किसी का डर भी नहीं है। उन्होंने कहा, यही चीफ जस्टिस बहुत सारे धर्मों के खिलाफ, दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ केस आता है तो बड़े-बड़े स्टेप लेते हैं। उदाहरण के लिए- हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर विशेष समुदाय का कब्जा है, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर तीन साल पहले स्टे लगाया, जो आज तक लगा हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्‍यक्ष ने कही ये बात

वहीं, इस घटना पर SC बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कहा- भगवान विष्णु की मूर्ति केस में CJI की टिप्पणी को गलत तरीके से दिखाया गया, जिससे ऐसा लगा जैसे CJI ने देवता का अपमान किया। वकील ने मशहूर होने के लिए ऐसा किया। भले ही CJI ने कोई कार्रवाई न करने का निर्णय लिया हो, लेकिन बार एसोसिएशन और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को ऐसे अनुशासनहीन व्यवहार पर कदम उठाना चाहिए, क्योंकि यह एक वकील के लिए पूरी तरह गलत है।

दरअसल, 8 सितंबर की दोपहर CJI की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। तभी आरोपी ने CJI की तरफ जूता फेंका। हालांकि, जूता उनकी बेंच तक नहीं पहुंच सका। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को पकड़ लिया था।

तीन घंटे पूछताछ के बाद पुलिस ने वकील को छोड़ा, बार ने किया निलंबित

जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने सोमवार को हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में ही तीन घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि SC अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार का लाइसेंस रद्द कर दिया है। उसका रजिस्ट्रेशन 2011 का है। इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया।

15 दिनों में शो कॉज नोटिस जारी

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने ये आदेश जारी किया था। उन्होंने कहा था कि यह वकीलों के आचरण, नियमों का उल्लंघन है। निलंबन के दौरान किशोर कहीं भी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। 15 दिनों में शो कॉज नोटिस भी जारी किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल ने कहा, ऐसा असंयमित व्यवहार पूरी तरह अनुचित है और न्यायालय और वकील समुदाय के बीच पारस्परिक सम्मान की नींव को हिलाता है। कोई भी ऐसा कार्य जो इस पवित्र बंधन को कमजोर करता है, न केवल संस्था को बल्कि हमारे राष्ट्र में न्याय के ताने-बाने को भी क्षति पहुंचाता है।

वकील राकेश किशोर का बयान

बात ये है कि मैं बहुत ज्यादा आहत हुआ, 16 सितंबर को चीफ जस्टिस के कोर्ट में किसी व्यक्ति ने PIL दाखिल की, तो गवई साहब ने पूरी तरह से उसका मजाक उड़ाया, कहा कि आप मूर्ति से प्रार्थना करो, मूर्ति से कहो कि अपना सिर रिस्टोर कर ले। जब हमारे सनातन धर्म से जुड़ा कोई मामला जैसे- जल्लीकट्टू हो, दही हांडी की ऊंचाई… तो ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ऐसे ऑर्डर पास करती करती है, जिनसे मुझे बहुत दुख होता है। इन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। ठीक है उस आदमी (याचिकाकर्ता) को रिलीफ नहीं देनी है, नहीं दीजिए… लेकिन उसका मजाक नहीं उड़ाएं, उसकी याचिका भी खारिज कर दी।

राकेश ने कहा था- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान

06 अक्टूबर को जूता फेंकने पर पकड़े जाने के बाद वकील राकेश किशोर ने नारा लगाते हुए कहा था- सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।’ वहीं, घटना के बाद सीजेआई ने अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि इस सबसे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।

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