World Rabies Day 2025: अगर कुत्ता चाट ले या काट ले तो तुरंत बहते पानी में 15 मिनट तक साबुन के साथ सफाई करें और चिकित्सालय में तत्काल पहुंचे। विश्व रेबीज दिवस पर फार्मासिस्ट फेडरेशन द्वारा अपने फार्मासिस्टों के साथ आमजन को जागरूक करने के लिए लगातार ट्रेनिंग प्रोग्राम और जागरूकता अभियान चलाया। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लगातार इस घातक रोग से होने वाली मृत्यु को बचाने के लिए कार्य किया जा रहा है। जानवरों के वैक्सीनेशन, जागरूकता फैलाने, चिकित्सा कर्मियों को शिक्षित करने का कार्य राष्ट्रीय रेबीज कंट्रोल प्रोग्राम और विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से किया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सालय में वैक्सीन की पूरी उपलब्धता रखी गई है। ये बातें फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताई हैं।
उन्होंने बताया, अब रेबीज वैक्सीन पेट में नहीं लगती है। रेबीज़ एक टीका-निवारणीय, जूनोटिक, वायरल रोग है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इसका वैक्सीन और इम्यूनोग्लोबुलीन उपलब्ध है और ज्यादातर सरकारी चिकित्सालयों में नि:शुल्क लगाया जाता है। लक्षणों पर बात करते हुए सुनील यादव ने बताया, रेबीज के शुरुआती लक्षणों में बुखार, दर्द और घाव वाली जगह पर असामान्य या अस्पष्टीकृत झुनझुनी, चुभन या जलन जैसी सामान्य निशानियाँ शामिल हैं। जैसे-जैसे वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में जाता है, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में प्रगतिशील और घातक सूजन विकसित होती है।
रैबीज के प्रकार
रेबीज दो प्रकार की होती है
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Furious rabies – (फ्यूरियस रेबीज): अति सक्रियता, उत्तेजक व्यवहार, मतिभ्रम, समन्वय की कमी, हाइड्रोफोबिया (पानी का डर) और एरोफोबिया (ड्राफ्ट या ताजी हवा का डर)। कार्डियो-श्वसन अरेस्ट के कारण कुछ दिनों के बाद मृत्यु हो जाती है।
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Paralytic rabies (पैरालिटिक रेबीज): कुल मानव मामलों में से लगभग 20% मामलों में इस प्रकार का रेबीज होता है। रेबीज का यह रूप उग्र रूप की तुलना में कम नाटकीय और आमतौर पर लंबे समय तक चलता है। घाव वाली जगह से शुरू होकर मांसपेशियां धीरे-धीरे लकवाग्रस्त हो जाती हैं। धीरे-धीरे कोमा विकसित होता है और अंततः मृत्यु हो जाती है।
क्या करें जब कुत्ता या जानवर काट ले?
तुरंत बाद जल्द से जल्द घाव को किसी भी डिटर्जेंट के साथ लगभग 15 मिनट तक बहते पानी में धुलते रहें जिससे ज्यादा से ज्यादा लार को हटाया जा सके। नजदीकी चिकित्सालय से संपर्क करें। उत्तर प्रदेश के सभी चिकित्सालयों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व अन्य चिकित्सालयों में एंटी रेबीज वैक्सीन निशुल्क लगाई जाती है।
क्या ना करें?
घाव पर मिर्च या अन्य कुछ भी ना लगाएं। कोई पट्टी ना बांधे। दिए गए गाइडलाइन के अनुसार टांका यथासंभव नहीं लगाया जाता है लेकिन यदि बहुत आवश्यकता है तो इम्यूनोग्लोबुलीन लगाने के उपरांत चिकित्सीय देखरेख में ढीला टांका लगाया जा सकता है।
फार्मासिस्ट फेडरेशन ने की अपील
इस बीमारी से खुद को बचाना और दूसरे को बचाना। यह हमारी और आपकी, सभी की सामाजिक जिम्मेदारी है इसलिए यदि आप कुत्ता पालते हैं तो उन्हें टीके अवश्य लगाएं, बच्चों को खास तौर पर जानवरों से दूर रखें तथा जानवरों के काटने के उपरांत तत्काल नजदीकी चिकित्सालय के विशेषज्ञ/फार्मेसिस्ट से राय लें।