बरेली: आज की भागदौड़ भरी अनियमित जीवनशैली में तनाव (स्ट्रेस) हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है। यह काम के दबाव के रूप में हो या पैसों की चिंता की वजह से। मन की उलझनें या कोई और वजह। तनाव के साथ ही चिंता (एंजाइटी), अवसाद (डिप्रेशन), मन की थकान (मेंटल फटीक), उदासी (सैडनेस) जैसी परेशानियां भी घर-घर पहुंच रही हैं। ये तकलीफें गंभीर होकर मानसिक विकारों में बदल जाती हैं और आत्महत्या तक का कारण बनती हैं।
कोविड महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों में अत्यधिक वृद्धि हुई है। विश्व में मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हमारा देश भी इससे अछूता नही है। यही वजह है कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रति वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाता है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आज मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करते हैं एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के प्रोफेसर (डॉ.) दीपक चरन के साथ।
सवालः मानसिक स्वास्थ्य क्या है? यह कैसे प्रभावित होता है?
जवाब: मानसिक स्वास्थ्य हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करता है। दैनिक जीवन में हम कैसे सोचते हैं, किसी परिस्थिति से निपटने के लिए क्या करते हैं, अपनी क्षमताओं का किस तरह उपयोग करते हैं, यह सब मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर है। आजकल की आधुनिक और अनियमित जीवनशैली, असंतुलित आहार, निष्क्रिय दिनचर्या शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रही है। इससे चिंता, अवसाद, मन की थकान, उदासी जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। वैश्विक स्थिति की बात करें तो हर आठ में से एक व्यक्ति मानसिक विकार से पीड़ित है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अपने देश में करीब 20 फीसद आबादी किसी न किसी मानसिक रोग से पीड़ित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पुरुषों की तुलना में दोगुना महिलाएं अवसाद (डिप्रेशन) जैसी समस्या से परेशान हैं। यह आत्महत्या का भी प्रमुख कारण है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
सवालः मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?
जवाब: तनाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यह तनाव चाहे काम के दबाव से हो, आर्थिक समस्याओं, पारिवारिक संबंध खराब होने या अलगाव से। सोशल मीडिया, कार्यस्थल पर भेदभाव, दूसरों से तुलना जैसे सामाजिक दबाव का भी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अनियमित खानपान, नींद की कमी, अत्यधिक नशा और निष्क्रिय दिनचर्या भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। कुछ शारीरिक बीमारियां और दवाएं भी मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालती हैं। इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को आनुवंशिक कारण भी प्रभावित करते हैं।
सवालः मानसिक स्वास्थ्य खराब है, कैसे पहचानें?
जवाब: लगातार उदासी या निराशा, अत्यधिक चिंता या बेचैनी, नींद की समस्याएं, भूख कम लगना या वजन में बदलाव, थकान व कमजोरी महसूस होना, सामाजिक गतिविधियों से बचने की कोशिश या अकेलापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और आत्महत्या के विचार मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के प्रमुख लक्षण हैं।
सवालः मानसिक स्वास्थ्य को कैसे ठीक करें?
जवाब: नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, पौष्टिक और संतुलित आहार, नए कौशल सीखना और लोगों से जुड़कर सामाजिक संबंध बनाने से मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखा जा सकता है। जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया और माइंडफुलनेस तकनीक भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखती है। मगर, इसके बाद भी किसी भी तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्या होने पर मनोरोग विशेषज्ञ और प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट मदद लेना ज्यादा जरूरी है। ऐसा न होने पर व्यक्ति अक्सर मतिभ्रम और मानसिक भ्रम के साथ साइकोसिस, सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है।
सवालः माइंटफुलनेस तकनीक क्या है?
जवाब: माइंडफुलनेस का मतलब है कि आप इस पल में सही रहें और इस बात का आकलन न करें कि आपके मन में क्या चल रहा है, आपके विचार क्या हैं, आप कैसा महसूस करते हैं और अपने आस-पास क्या देखते हैं। तनाव प्रबंधन के लिए माइंडफुलनेस तकनीक का उपयोग बेहद कारगर है।
सवालः मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में आप क्या संदेश देंगे?
जवाब: सिरदर्द, बुखार या दूसरी किसी शारीरिक तकलीफ के इलाज के लिए हम सब डॉक्टर के पास जाते हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी तकलीफों के लिए चिकित्सक से परामर्श नहीं लेते, इससे ये तकलीफें गंभीर होकर मानसिक विकारों में बदल जाती हैं। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य ठीक होने से जीवन के हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करना संभव होता है। जीवन खुशहाल होता है।