Agnipath Scheme: अग्निपथ योजना के तहत तीनों सेनाओं यानी जल, थल और वायु में युवाओं की भर्ती होती है. इन्हें अग्निवीर कहा जाता है. साल 2022 में इसकी शुरुआत हुई थी और तब से लेकर आज तक कई बार इस योजना का विरोध हो चुका है. इस बार तो यहां तक कहा जा रहा है कि चुनावों में भी इस स्कीम का असर पड़ा है और युवाओं की नाराजगी प्रकट हुई है. आगे बढ़ने से पहले जानते हैं ये स्कीम क्या है.
क्या है ये स्कीम?
इस स्कीम के तहत 17 से 21 साल तक के युवाओं की तीनों सेनाओं में भर्ती की जाती है. समय-समय पर ये भर्तियां प्रकाशित होती हैं जिनमें इच्छुक युवा, इंडियन आर्मी, इंडियन एयरफोर्स और इंडियन नेवी में शामिल होते हैं. ये रीजन के हिसाब से चलती हैं और यूपी, हरियाणा, राजस्थान के लिए न केवल अलग-अलग भर्ती निकलती हैं बल्कि परीक्षाएं भी इसी लेवल पर होती हैं और नतीजे भी ऐसे ही प्रकाशित होते हैं.
चार साल के लिए होती है नियुक्ति
इस भर्ती प्रक्रिया के तहत चयनित युवाओं को सेना में चार साल के लिए नियुक्ति मिलती है. इन चार सालों के बाद केवल 25 प्रतिशत युवाओं को ही परमानेंट तौर पर सेना में रखा जाता है और बाकी का रिटायरमेंट हो जाता है. इनके लिए पद के मुताबिक 10वीं से लेकर 12वीं पास तक अप्लाई कर सकते हैं. इन्हें सैलरी हर साल में अलग-अलग मिलती है. जैसे पहले साल 30 हजार, दूसरे साल 33 हजार, तीसरे साल 36,500 और चौथे साल 40 हजार. सेलेक्शन लिखित परीक्षा से लेकर फिजिकल टेस्ट तक कई स्तर की परीक्षा पास करने के बाद होता है. वॉर में मारे जाने पर इन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिलता.
क्यों हो रहा है विवाद
अग्निपथ स्कीम को लेकर कई तरह के बवाल हो रहे हैं और इनमें मुख्य है इनकी सेवा को चार साल के बाद खत्म कर देना. इस जबरन रिटायरमेंट माना जा रहा है जिसे युवा वर्ग ने आड़े हाथों लिया है. केवल 25 प्रतिशत को ही परमानेंट नियुक्ति मिलना उन्हें रास नहीं आ रहा है.
इसके साथ ही चार साल की सर्विस में ये अग्निवीर अपनी सैलरी से 5.02 लाख कूपर्स फंड में योगदान करते हैं, उतना ही पैसा सरकार भी दे रही है. चार साल के बाद इन सैनिकों को एकमुश्त 11.71 लाख रुपये मिलेगा जो नियमित सैनिकों की तुलना में काफी कम है. हालांकि इन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा.
इन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी, कैंटीन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सुविधाएं भी नहीं मिलेंगी. इन्हें शहीद होने का दर्जा भी नहीं मिलता. इन सब पहुलओं पर युवाओं के बीच आक्रोश है. कई बार इस योजना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी हो चुका है. ये भी माना जा रहा है कि इस बार के चुनावों में यूपी, हरियाणा, राजस्थान जहां के सबसे ज्यादा युवा सेना में जाते हैं, ने अपनी नाखुशी प्रकट की है जिसके नतीजे सरकार को भुगतने पड़े. ये भी हो सकता है कि सरकार इस बार योजना में किसी प्रकार का बदलाव करे.