नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA की ओर से उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन होंगे। रविवार को हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में उनके नाम पर सहमति बनी। नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राधाकृष्णन के नाम का ऐलान किया।
इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेता मौजूद थे। राधाकृष्णन 21 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। इस दौरान NDA शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे।
PM Modi chaired the Parliamentary Committee Meeting at the BJP headquarters in Delhi. pic.twitter.com/YPS9s0b2of
— BJP (@BJP4India) August 17, 2025
उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर को वोटिंग
उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर को वोटिंग होगी और उसी दिन काउंटिंग भी होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त है। 25 अगस्त तक उम्मीदवारी वापस ली जा सकती है।
दरअसल, जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।
सीपी राधाकृष्णन के बारे में
जन्म- 20 अक्टूबर 1957, तिरुप्पुर (तमिलनाडु)
शिक्षा- बी.बी.ए. (बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन)
शुरुआत- आरएसएस स्वयंसेवक
वर्तमान में- महाराष्ट्र के राज्यपाल (31) जुलाई 2024 से)
राजनीतिक सफर
1996: भाजपा तमिलनाडु सचिव
1998-1999: कोयम्बटूर से सांसद
2004-07: तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष
2016-20: कोयर बोर्ड अध्यक्ष
2020-22: भाजपा का केरल प्रभारी
2023: झारखंड के राज्यपाल बने (अतिरिक्त प्रभार: तेलंगाना राज्यपाल, पुडुचेरी उप राज्यपाल)
2024: महाराष्ट्र के राज्यपाल नियुक्त
NDA के उम्मीदवार का जीतना तय
लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 542 है। एक सीट खाली है। एनडीए के 293 सांसद हैं। इसी तरह राज्यसभा में 245 सांसद हैं और 5 सीट खाली हैं। एनडीए के पास 129 सांसद हैं। यह मानते हुए कि उप राष्ट्रपति के लिए नामांकित सदस्य भी एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे। इस प्रकार, सत्तारूढ़ गठबंधन को कुल 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। बहुमत के लिए 391 सांसदों के समर्थन की जरूरत है।
बताते चलें कि अगस्त 2022 में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे। वहीं, विपक्षी उम्मीदवार मार्गेट अल्वा को सिर्फ 182 वोट मिले थे। तब 56 सांसदों ने वोट नहीं डाला था।
राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में उप राष्ट्रपति संभालते हैं उनका काम
- भारत में उप राष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है, इन्हें 5 साल के लिए चुना जाता है।
- कार्यकाल पूरा होने के बावजूद उपराष्ट्रपति नए उप राष्ट्रपति चुने जाने तक पद पर बने रह सकते हैं।
- राष्ट्रपति के न रहने, बीमारी या किसी और वजह से काम न कर पाने पर उप राष्ट्रपति ये जिम्मेदारी संभालते हैं।
- राष्ट्रपति के निधन, पद छोड़ने या किसी और वजह से राष्ट्रपति पद खाली होने से लेकर चुनाव होने तक राष्ट्रपति के तौर पर काम करते हैं।
- इस दौरान उप राष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सभी शक्तियां और अधिकार हासिल होते हैं।
- उप राष्ट्रपति को राज्यसभा में बहुमत के जरिए पारित प्रस्ताव के जरिए पद से हटाया जा सकता है, इसमें लोकसभा की सहमति भी जरूरी है।