लखनऊ: लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन ने एनडीए को कड़ी टक्कर दी है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित अखिलेश यादव केंद्र की तरफ कूच करने जा रहे हैं। हालांकि, ये सिर्फ सियासी गलियारों कि चर्चा है, इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कार्य क्षेत्र अब उनके भतीजे पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव और चाचा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव की जिम्मेदारी तय करेगा। इस समय अखिलेश यादव करहल से विधायक और कन्नौज से सांसद हैं।
देश की तीसरे नंबर की पार्टी बनी है सपा
उन्हें इन दोनों में से एक सीट त्यागनी होगी। वह राष्ट्रीय राजनीतिक को आगे बढ़ाने का काम करेंगे या प्रदेश को मजबूत करेंगे इसे लेकर वह आज होने की वाली सपा की संसदीय बोर्ड बैठक में निर्णय ले सकते हैं। इसके बाद आगे की रणनीति बनेगी। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के नेतृत्व और चाचा शिवपाल सिंह यादव के पुराने पैतरों के कमाल ने लोकसभा चुनावों में सपा को ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया है। प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतकर सपा देश की तीसरे नंबर और प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है।
करहल सीट से इस्तीफा दे सकते हैं अखिलेश!
अखिलेश यादव 2022 के विधानसभा चुनाव में करहल से विधायक चुने गए थे। इसके साथ ही वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। वहीं लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने कन्नौज के लोगों की मांग पर चुनाव लड़ा था और यहां से लगभग 1.70 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। जीत दर्ज करने के बाद अब सपा नेतृत्व में अखिलेश यादव के कार्य क्षेत्र को लेकर मंथन चल रहा है। विचार किया जा रहा है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को बढ़ाने के लिए सांसद की भूमिका में रहेंगे या अभी प्रदेश को ही मजबूत करने के लिए करहल विधायक व नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे। हालांकि संभावना यही है कि वो मैनपुरी की करहल सीट से इस्तीफा दे सकते हैं।
इसे लेकर आज होने वाली संसदीय बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं और नवनिर्वाचित सांसदों के साथ चर्चा करने के बाद अपने कार्य क्षेत्र की घोषणा कर सकते हैं।
तेज प्रताप यादव को मिल सकती है प्राथमिकता
राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्णय के बाद वह करहल से विधानसभा या कन्नौज की लोकसभा सीट को छोड़ेंगे। इसके बाद यहां उपचुनाव कराकर नया प्रतिनिधि चुना जाएगा। माना जा रहा है कि दोनों ही जगह पर अखिलेश मैनपुरी के पूर्व सांसद और भतीजे तेज प्रताप यादव पर भरोसा जता सकते हैं। वह अपनी विरासत की सीट देने में तेज प्रताप को प्राथमिकता देंगे। हालांकि औपचारिक घोषणा के बाद ही इस पर मोहर लगाई जाएगी।
शिवपाल को भी मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की परछाई बनाकर सपा को मजबूती दिलाने वाले राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के 2022 से फिर पूरे तरह सपा में सक्रिय होने के बाद से सपा में फिर वही ताकत नजर आने लगी है। मुलायम के बाद अब अखिलेश के लिए ताकत लगाकर शिवपाल की भूमिका मैनपुरी के उपचुनाव और लोकसभा चुनावों में अहम रही है। मुलायम सिंह यादव के 2022 में निधन के बाद मैनपुरी सीट से हुए उपचुनाव में डिंपल यादव को चुनाव लड़ाया गया था। उस समय चाचा ने घर-घर घूमकर साइकिल की रफ्तार बढ़ाई थी। अखिलेश यादव की रणनीतिक और शिवपाल के पुराने पैतरों की वजह से ही डिंपल यादव ने लगभग 2.80 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।
यह देखते हुए लोकसभा चुनाव में भी उनकी भूमिका अहम रखी गई थी। टिकट वितरण से लेकर स्टार प्रचारकों की सूची में रखकर उन्हें तरजीह दी गई थी। यही वजह है कि पूरे परिवार के एक होने से सपा का देश में बेहतर प्रदर्शन रहा। सूत्रों के अनुसार, यदि अखिलेश राष्ट्रीय राजनीतिक की ओर बढ़ते हैं और कन्नौज के सांसद बनने का ही निर्णय लेते हैं तो वह चाचा शिवपाल को बड़ी जिम्मेदारी दे सकते हैं।