नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की सेंक्शंस मॉनिटरिंग टीम ने ग्लोबल टेररिस्ट संगठनों पर बुधवार (30 जुलाई) को रिपोर्ट जारी की। इसमें माना कि पहलगाम हमले के लिए द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जिम्मेदार है। TRF ने हमले के बाद दो बार जिम्मेदारी ली। TRF ने हमले वाले दिन 22 अप्रैल को घटनास्थल की फोटो भी प्रकाशित की थी। अगले दिन फिर से जिम्मेदारी ली, लेकिन 26 अप्रैल को अचानक अपना दावा वापस ले लिया। इसके बाद TRF ने कोई और बयान नहीं दिया और किसी अन्य संगठन ने भी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली।
संयुक्त राष्ट्र की यह 36वीं रिपोर्ट आतंकी संगठनों ISIL, अल-कायदा और उनसे जुड़े गुटों पर आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक, एक सदस्य देश ने कहा कि यह हमला पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की मदद के बिना संभव नहीं था। TRF और LeT के बीच संबंध हैं। जबकि एक अन्य सदस्य देश ने LeT को निष्क्रिय बताया और इन दावों को खारिज किया।
22 अप्रैल को मारे गए थे 26 पर्यटक
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पहलगाम क्षेत्र में हालात बहुत संवेदनशील हैं और आतंकवादी संगठन इस तनाव का फायदा उठाने की फिर कोशिश कर सकते हैं। पहलगाम की बायसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों पर गोलियां बरसाई थी। इस दौरान 1 नेपाली नागरिक समेत 26 लोगों की मौत हो गई थी।
सेना के ऑपरेशन शिवशक्ति में ढेर किए गए दो आतंकी
जम्मू-कश्मीर के पुंछ में लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पास घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को सेना ने मार गिराया। अधिकारियों के मुताबिक, बॉर्डर पर तैनात जवानों ने मंगलवार देर रात देगवार सेक्टर के मालदीवलन इलाके में संदिग्ध गतिविधि देखी। जिसके बाद एनकाउंटर शुरू हुआ। इस ऑपरेशन को शिवशक्ति नाम दिया गया। आतंकियों के पास से 3 हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया।
पिछले तीन दिनों में सेना का यह दूसरा एनकाउंटर है। 28 जुलाई को श्रीनगर के दाचीगाम नेशनल पार्क के पास हरवान इलाके में सुरक्षाबलों तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को ढेर किया था। गृह मंत्री अमित शाह ने 29 जुलाई को लोकसभा में बताया था कि मारे गए आतंकियों में से एक पहलगाम हमले का मुख्य आरोपी सुलेमान भी था। बाकी दो आतंकियों की पहचान जिबरान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है। जिबरान 2024 के सोनमर्ग सुरंग प्रोजेक्ट पर हुए हमले में शामिल था। आतंकियों के पास से अमेरिकी M4 कार्बाइन, AK-47, 17 राइफल और ग्रेनेड मिले थे। इसे ऑपरेशन महादेव नाम दिया गया था।