बरेली: बरेली कॉलेज के रिटायर्ड प्रोफेसर को साइबर अपराधियों ने अपना शिकार बनाने की कोशिश की, लेकिन वो बाल-बाल बच गए। कॉमर्स विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजीव मेहरोत्रा को अज्ञात कॉल के जरिए ‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर लगभग आधे घंटे तक मानसिक दबाव में रखने का प्रयास किया गया। ठगों की धमकियों और फर्जी दस्तावेजों से प्रोफेसर घबरा गए थे, लेकिन समय रहते उनकी पत्नी की सतर्कता ने बड़ी ठगी को टाल दिया।
प्रोफेसर को 14 जुलाई की सुबह एक अज्ञात नंबर से कॉल आई। कॉल उठाते ही ऑटोमेटेड वॉइस में संदेश सुनाया गया- “आपका नंबर दो घंटे में ट्राई द्वारा ब्लॉक कर दिया जाएगा।” इसके बाद कॉल एक महिला को ट्रांसफर कर दी गई, जिसने खुद को सरकारी अधिकारी बताया और कहा कि प्रोफेसर के नाम से 04 अक्टूबर को एक सिम कार्ड जारी हुआ है, जिसका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में किया जा रहा है।
महाराष्ट्र पुलिस और सीबीआई के नाम पर डराया
प्रोफेसर को डराने के लिए कॉल को एक और शख्स “वरिष्ठ अधिकारी अजय” के पास ट्रांसफर किया गया। उसने खुद को कोलाबा थाना, महाराष्ट्र का पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि प्रोफेसर पर मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर अपराध के केस दर्ज हैं। ठगों ने उन्हें सीबीआई के लोगो वाला एक फर्जी पत्र भी भेजा, जिसमें कानूनी धाराओं के हवाले से गिरफ्तारी की चेतावनी दी गई थी।
पत्नी ने समय रहते फोन कटवाकर बचाया नुकसान
फोन पर हो रही लगातार धमकियों और दबाव को देखकर प्रोफेसर की पत्नी को शक हुआ। उन्होंने बातचीत की भाषा और मनोवैज्ञानिक खेल को समझते हुए प्रोफेसर को फोन कटवाने के लिए कहा। फोन कटते ही प्रोफेसर को ठगी की आशंका हुई और उन्होंने तुरंत साइबर थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।
साइबर सेल प्रभारी के मुताबिक, कॉल डिटेल्स और ठगों की लोकेशन ट्रेस की जा रही है। शुरुआती जांच में मामला प्री-प्लांड साइबर फ्रॉड स्कीम का लग रहा है, जिसमें रिटायर्ड या वरिष्ठ नागरिकों को टारगेट किया जा रहा है।
साइबर सेल की जनता से अपील
साइबर सेल ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अज्ञात कॉल पर अपने दस्तावेज, ओटीपी या बैंक डिटेल्स साझा न करें। कोई भी सरकारी एजेंसी इस तरह की कॉल या धमकी फोन पर नहीं देती। ऐसे मामलों में तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराएं।