उत्तर प्रदेश, एजुकेशन, सोशल मीडिया, स्पेशल स्टोरी, हेल्थ

ट्राइडेंट हॉस्पिटल का चाइल्ड केयर सेंटर, एक छत के नीचे संपूर्ण समाधान

ट्राइडेंट हॉस्पिटल का चाइल्ड केयर सेंटर, एक छत के नीचे संपूर्ण समाधान
  • -न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर से ग्रसित बच्चों के अभिभावकों को दर-दर भटकने से मिलेगी फुर्सत: डॉक्‍टर पारुल प्रसाद

  • -इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर को स्थापित करना ही हमारा लक्ष्य: दिव्यांशु कुमार

लखनऊ (अभिषेक पाण्डेय) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने साल 2024 में एक रिपोर्ट पेश की, जिसने सबको हैरान कर दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 19 साल के बीच दुनिया का हर सातवां बच्चा मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। एक तिहाई समस्याएं 14 साल की उम्र से पहले ही शुरू हो जाती हैं, जबकि आधी समस्याएं 18 वर्ष से पहले सामने आती हैं। इनमें अवसाद, बेचैनी और व्यवहार से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लक्षण काफी हद तक किशोरावस्था में दिखने लगते हैं।

यह निर्धारित करने के लिए कि मानसिक स्वास्थ्य विकार मौजूद हैं अथवा नहीं, डॉक्टर बच्चे या किशोर के साथ किए गए साक्षात्कार तथा माता-पिता और अध्यापकों से मुलाकात के दौरान देखे गए अवलोकनों पर आश्रित रहते हैं। कभी-कभी डॉक्टर बच्चे या किशोर को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के पास भेजते हैं जो प्रशिक्षित होते हैं, लेकिन यह सुविधा ग्रामीण इलाकों, अर्धशहरी और सामान्य शहरों में उपलब्ध नहीं हो पाती। इसी को ध्यान में रखकर लखनऊ की प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉक्‍टर पारुल प्रसाद और द होप लर्निंग एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के प्रबंध निदेशक दिव्यांशु कुमार ने एक बड़ा इनिशिएटिव उठाया है।

DR. Parul Prasad
Trident Hospital, Lucknow

ट्राइडेंट हॉस्पिटल में खुल रहा चाइल्ड केयर सेंटर

हॉस्पिटल की निदेशक डॉक्‍टर पारुल प्रसाद ने जानकारी दी है कि एक जनवरी, 2025 से ट्राइडेंट हॉस्पिटल में चाइल्ड केयर सेंटर की शुरुआत हो रही है। इस सेंटर में आटिज्म, एडीएचडी, बौद्धिक अपंगत्व या किसी भी तरह के बेहवियर इशू हैं, जैसे- मोबाइल एडिक्शन, गेमिंग एडिक्शन, डिप्रेशन या फिर किसी भी तरह की मानसिक विकार से जुड़ी समस्याओं से निजात दिलाई जाएगी। सेंटर में स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, बिहेवियर थेरेपी, चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक समेत इस विधा के तमाम प्रोफेशनल की टीम मौजूद रहेगी। अभी तक लखनऊ में इस तरह के स्किल्ड सेंटर की कमी थी, जिसकी वजह से पीड़ित मरीजों को दर-दर भटकना पड़ता था। इस सेंटर की खासियत यही है कि यहां एक छत के नीचे सभी प्रोफेशनल की टीम मौजूद रहेगी, जिससे समस्याओं के त्वरित निदान में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी।

अचानक से बढ़ रहे न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर के मरीज

डॉक्‍टर पारुल बताती हैं कि इस सेंटर की नींव इस बात को ध्यान में रखते हुए रखी जा रही है कि पिछले कुछ समय से न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। इससे एक बात और स्पष्ट है कि समाज में जागरूकता भी बढ़ी है। न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर लाइलाज नहीं है, बस सही गाइडेंस की जरूरत है और इसके बेहतर नतीजे भी नजर आ रहे हैं। ओपीडी में ऐसे कई अभिभावक आते हैं, जो हमसे पूछते हैं कि विभिन्न थेरेपी के लिए हमें कहां जाना चाहिए। इसी सवाल को ध्यान में रखकर हम इस सेंटर की शुरुआत करने जा रहे हैं।

दवाओं की निर्भरता को के बराबर करना ही हमारी प्राथमिकता

ट्राइडेंट हॉस्पिटल की निदेशक डॉक्‍टर पारुल बताती हैं कि बच्चों के इलाज में दवाओं की निर्भरता को करना हमारा लक्ष्य है। असल मायने में थेरेपी से ही बच्चों में काफी हद तक पॉजिटिव रिजल्ट दिखाई देने लगते हैं। जहां जरूरत होती है, वहां दवाएं अपना काम करती हैं। मगर, हमारा यह मानना है कि दवाओं का कम से कम इस्तेमाल करके बच्चों में थेरेपी के माध्यम से ही रिजल्ट लाया जाए और यही इस सेंटर की यूएसपी होगी। सेंटर में ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, चाइल्ड साइकोलोजिस्ट, स्पेशल एजूकेटर्स, मनोचिकित्सक आदि प्रोफेशनल्स मौजूद रहेंगे, जिनकी मदद से बेहतर परिणाम आसान हो जाएगा। यह सेंटर में सेवाएं ज्‍यादा महंगी नहीं होंगी, बल्कि सभी के लिए अफोर्डेबल होगा।

न्यूरोडेवलपमेंटल समस्याओं का एक छत के नीचे मिलेगा संपूर्ण समाधान

द होप रिहैबिलिटेशन एंड लर्निंग सेंटर के मैनेजिंग डायरेक्टर दिव्यांशु कुमार ने बताया कि ट्राइडेंट हॉस्पिटल में खुल रहा चाइल्ड केयर सेंटर अपने आप में कई खासियतों से भरपूर है। चूंकि ट्राइडेंट हॉस्पिटल के परिसर में ही इस सेंटर का संचालन किया जाएगा। यानी, यहां मरीजों को भर्ती यानी एडमिट होने की भी सुविधा उपलब्ध होगी। मेरी जानकारी में पूरे देश में ऐसा एक भी सेंटर नहीं है, जहां एडमिट होने की भी सुविधा उपलब्ध है। सेंटर में ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट, स्पेशल एजूकेटर्स, मनोचिकित्सक आदि की प्रोफेशनल टीम 24*7 घंटे उपलब्ध रहेगी। इस सेंटर की शुरुआत ही लीग से हटकर की जा रही है। पहले एक लंबे प्रोसीजर को फॉलो करने के बाद पेशेंट थेरपिस्ट के पास आता था। इस सेंटर की यही खासियत है कि यहां आने के बाद दर-दर भटकने की जरूरत नहीं होगी।

Divyanshu Kumar, The Hope Learning And Rehabilitation Center

कोऑर्डिनेशन से मिलेगा बेहतर परिणाम

दिव्यांशु बताते हैं कि वर्ष 2019 में उन्होंने यह संस्था बनाई थी। इसके बाद से करीब 400 बच्चों को थेरेपी दी गई है। इनमें से लगभग 60 बच्चे ऐसे थे, जोकि ऑटिज़्म, डाउन सिंड्रोम, सेरेब्रल पाल्सी और अन्य बौद्धिक और विकास संबंधी विकलांगताओं के शिकार थे, उन्हें थेरेपी के माध्यम से नॉर्मल किया गया है। इन बच्चों के व्यवहार और शारीरिक विकलांगता में काफी सुधार हुआ है। इनके साथ ही वह बच्चे सामान्‍य जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने बताया कि बेहतर परिणाम के लिए कोऑर्डिनेशन सबसे महत्वपूर्ण है। सेंटर में कोऑर्डिनेशन स्थापित करना हमारी प्राथमिकता होगी, जिससे मरीजों व पीड़ितों को सुचारू रूप से सुविधाएं मिलें। साथ ही सेंटर में प्रोफेशनल की टीम मौजूद होगी, जिससे तीमारदारों को इधर-उधर भागना नहीं पड़ेगा और टाइम की बचत होगी। इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर को स्थापित करना ही हमारा लक्ष्य होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *