वॉशिंगटन: अमेरिका से डिपोर्ट हो रहे अवैध अप्रवासी भारतीयों की वापसी के बाद कई नए खुलासे हो रहे हैं। अब तक अमेरिका ने बिना वैध दस्तावेज वाले 20,407 भारतीयों को चिह्नित किया है। इन सभी को अवैध अप्रवासी भारतीय कहा जाता है। ये अंतिम बेदखली आदेश (फाइनल रिमूवल ऑर्डर) के इंतजार में हैं। इनमें से 2,467 भारतीय इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट (ICE) के डिटेंशन सेंटर्स में कैद थे।
डिटेंशन सेंटर्स से ही 104 को हाल में भारत डिपोर्ट किया गया। इसके अलावा 17,940 भारतीय ऐसे हैं, जो बाहर हैं और इनमें से कई भारतीयों के पैरों में डिजिटल ट्रैकर (एंकल मॉनिटर) लगाए गए हैं। आईसीई 24 घंटे इनकी लोकशन ट्रैक करती है। ये लोग निर्धारित लोकेशन से बाहर नहीं जा सकते हैं।
अमेरिकी डिटेंशन सेंटर्स में क्षमता से ज्यादा लोग
अमेरिकी डिटेंशन सेंटर को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट में बड़े खुलासे हुए हैं। ICE ने कहा कि कि उनके डिटेंशन सेंटर्स में क्षमता के मुकाबले 109% लोग ज्यादा है। होमलैंड सुरक्षा विभाग के डेटा के मुताबिक, डिटेंशन सेंटर्स की कुल क्षमता 38,521 बिस्तरों की है। वहीं, फिलहाल इस सेंटर्स में 42 हजार अवैध अप्रवासी हैं। इनमें से आधों को मेक्सिको सीमा पर गिरफ्तार किया गया था।
भारतीयों के हाथ-पैर चेन से बांधकर प्लेन में चढ़ाया
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों को लेकर US मिलिट्री का सी-17 प्लेन 5 फरवरी को पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। इन लोगों के पैर में बेड़ियां बांधी गई थीं, जबकि हाथ भी चेन से जकड़े हुए थे। अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल चीफ माइकल बैंक्स ने अपने X हैंडल पर इसका वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में भारतीयों के हाथों और पैरों में बेड़ियां साफ देखी जा सकती हैं।
माइकल बैंक्स ने X पर लिखा- ‘अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल USBP ने अवैध एलियंस को सफलतापूर्वक भारत वापस भेजा। यह अब तक की सबसे लंबी डिपोर्टेशन फ्लाइट थी, जिसके लिए मिलिट्री एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया गया। यह मिशन अवैध प्रवासियों के निष्कासित करने की हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है। आप अवैध रूप से सीमा पार करते हैं, तो आपको वापस भेजा जाएगा।’
यूरोप के टूर पर गई निकिता अमेरिका से डिपोर्ट हुईं
गुजरात के मेहसाणा की 28 वर्षीय निकिता पटेल अपनी सहेली के साथ यूरोप के टूर पर गई थीं। यहां उनके पिता कनूभाई पटेल ने बताया कि बेटी से परिवार की आखिरी बात 14-15 जनवरी हो हुई थी, तब वह यूरोप में ही थी।
वहीं, आणंद जिले की युवती भी नर्सिंग के बाद यहां प्राइवेट हॉस्पिटल में 30 हजार की जॉब नौकरी करती थीं। करीब डेढ़ साल पहले वह गहने और खेत बेचकर एजेंट को 52 लाख रुपये देकर वाया कनाडा अमेरिका पहुंच गई। उसे नौकरी भी मिल गई, लेकिन अब डिपोर्ट किया है।