नई दिल्ली: कोलकाता में महिला डाक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में देश भर के चिकित्सक लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे है. इसी क्रम में शनिवार को देश भर में चिकित्सकों ने हड़ताल कर दी है और उसका असर अब ये हो गया है कि मरीजों का हाल बुरा हो गया है और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराती हुई दिखाई दे रही है.
बता दें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, कोलकाता और वड़ोदरा जैसे शहरों में डॉक्टर हड़ताल कर धरना दे रहे हैं, जिसकी वजह से पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने भी कोलकाता की घटना के विरोध में अस्पताल में काम बंद करके धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. तो वहीं नोएडा के अस्पतालों में भी इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है. यहां पर चिकित्सकों ने काम करना बंद कर दिया है. यहां पर प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों की सेवाएं बंद हैं और ओपीडी भी ठप पड़ी है. इसके अलावा बेंगलुरु में भी वरिष्ठ डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ ने काम बंद रखा.
हालांकि डॉक्टरों ने विरोध-प्रदर्शन के बीच आपातकालीन सेवाओं को चालू रखा लेकिन महिला डाक्टर के साथ हुई हैवानियत का पुरजोर विरोध किया. मालूम हो कि स्वास्थ्य कर्मियों पर लगातार हो रहे हमलों को देखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 17 अगस्त यानी शनिवार को पूरे देश में हड़ताल की घोषणा की थी. इसी के बाद से पूरे देश में चिकित्सक मरीजों को देखने के बजाए हड़ताल पर चले गए हैं.
हड़ताल के दौरान तमाम छोटे बड़े अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद हैं लेकिन आपातकालीन सेवाएं चालू रहने की बात कही गई है. इस हड़ताल की वजह से दिल्ली में AIIMS, RML, DDU, LNJP, लेडी हार्डिंग, सफदरजंग समेत कई प्रमुख सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर आज सेवाएं देने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं.
हड़ताल पर गए चिकित्सकों की ये हैं मांगें
कोलकाता रेप केस के खिलाफ हड़ताल कर रहे हैं डॉक्टर्स, हड़पातल पर गए डॉक्टर्स की मांग है कि पीड़िता को न्याय मिले. डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से इस बाबत बात भी की थी, लेकिन जब कोई हल नहीं निकला तो एसोसिएशन ने हड़ताल का अह्वान किया है. चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्य यानी CPA बनाए.
आईएमए ने भी मांग की है
आईएमए ने रेजिडेंट डॉक्टरों के कामकाज और रहने की स्थिति में बड़े पैमाने पर बदलाव की मांग की है. इसमें 36 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट को कम करने और आराम करने के लिए सुरक्षित स्थानों की व्यवस्था करने की भी मांग उठाई है. आईएमए ने अस्पतालों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाने की भी मांग उठाई है और कहा है ककि अस्पतालों को अनिवार्य सुरक्षा अधिकार के साथ सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए. सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं, अस्पतालों में तैनात सुरक्षाकर्मियों की तैनाती और प्रोटोकॉल का पालन किया जाए.
बता दें कि केंद्र सरकार ने शुक्रवार को निर्देश दिया था कि अगर किसी स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला हो तो पुलिस को चाहिए कि वह घटना के छह घंटे के अंदर ही पहले एफआईआर करके कार्रवाई शुरू करे. तो वहीं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 17 अगस्त को देश भर के सभी छोटे और बड़े अस्पतालों में बंदी की घोषणा की है.