लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि जिस पार्टी ने अपहरण, लूट, रंगदारी और भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप दिया था, वह आज कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आज उत्तर प्रदेश भयमुक्त, अपराधमुक्त और गुंडामुक्त बन चुका है। कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता ने सपा को दो बार नकारा है और आने वाले चुनाव में तीसरी बार भी रिजेक्ट करेगी। उन्होंने कहा कि काठ की हांडी अब दोबारा चूल्हे पर नहीं चढ़ेगी।
शाही ने कहा कि अखिलेश यादव मोदी और योगी विरोध करते-करते अब हिंदी भाषा का भी विरोध करने लगे हैं। तमिलनाडु में हिंदी विरोध का समर्थन करना और फिर हिंदी भाषी प्रदेश से वोट मांगना उनकी दोहरी राजनीति को दिखाता है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया और कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाई का असर शायद अब उनकी सोच पर हावी हो गया है।
दलितों और गरीबों की बात करना अखिलेश को शोभा नहीं देता
कृषि मंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार में दलितों, किसानों और गरीबों की हालत बदतर थी। उन्होंने याद दिलाया कि सपा सरकार के समय बुंदेलखंड के किसान आत्महत्याएं कर रहे थे, गन्ना किसानों का तीन साल तक बकाया नहीं मिला, और मथुरा के जवाहर बाग कांड जैसी घटनाओं ने शासन की पोल खोल दी थी।
उन्होंने कहा कि सपा शासनकाल में वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन और राशन योजनाएं लूट का अड्डा बन गई थीं। आज योगी जी की सरकार में डीबीटी और डिजिटल इंडिया के जरिए पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में जा रहा है। अब बिचौलियों और दलालों की भूमिका खत्म हो गई है, इसी से अखिलेश जी बेचैन हैं।
दलित स्मारकों को तोड़ने वाली सपा आज संवेदनशील बनने का ढोंग कर रही
मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि अखिलेश यादव को याद रखना चाहिए कि उनकी सरकार में मान्यवर कांशीराम जी के नाम पर बने जिले और स्मारकों का नाम बदल दिया गया, यहां तक कि मूर्तियों को तोड़ने का काम भी सपा सरकार ने किया। आज वही दलितों की बात करते हैं, यह राजनीतिक नाटक से ज्यादा कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने प्रदेश में आवास, शौचालय, पेंशन, पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के जरिए हर वर्ग तक लाभ पहुंचाया है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों में किसानों को 3.30 लाख करोड़ रुपये गन्ना मूल्य के रूप में भुगतान किया गया है और आगे चना, मटर, मसूर, मूंग और मूंगफली की सरकारी खरीद भी की जाएगी।