उत्तर प्रदेश, राजनीति

डकैत शैतान का शव लेने नहीं आए परिजन, सात जिलों की पुलिस तलाश करेगी घर   

डकैत शैतान का शव लेने नहीं आए परिजन, सात जिलों की पुलिस तलाश करेगी घर   

बरेली: बरेली पुलिस की मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात डकैत शैतान उर्फ इफ्तेकार का शव लेने उसके परिवार का कोई सदस्य सामने नहीं आया। अब बरेली पुलिस ने सात जिलों वाराणसी, आगरा, गाजियाबाद, कानपुर नगर, गौतमबुद्ध नगर, लखनऊ और नोएडा की पुलिस को पत्र भेजकर शैतान के परिजनों की तलाश शुरू कर दी है।

बरेली के भोजीपुरा थाना क्षेत्र में नैनीताल हाईवे के बिलवा पुल के पास 9 अक्टूबर (गुरुवार) को शैतान की पुलिस मुठभेड़ में मौत हुई थी। 10 अक्टूबर को पोस्टमॉर्टम के बाद उसका शव जिला अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखवा दिया गया। 3 दिन बाद भी परिवार का कोई सदस्य सामने नहीं आया।

एसएसपी बोले- शैतान के 15 नाम और 7 पते मिले

एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि पुलिस जांच में शैतान के कुल 15 नाम और 7 पते सामने आए हैं। संबंधित जिलों की पुलिस इन सभी पते पर जांच कर रही है। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। कुख्यात डकैत इफ्तेकार उर्फ शैतान पर कई जिलों में 19 मुकदमे दर्ज थे। वह छैमार गिरोह का लीडर था। पुलिस ने उसे सरेंडर करने का पूरा मौका दिया, लेकिन उसने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। परिवार का कोई सदस्य शव लेने नहीं आया है। रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग को भेज दी गई है, और विवेचना शीशगढ़ थाना प्रभारी को सौंपी गई है। 7 जिलों की पुलिस को रिपोर्ट भेजी गई है, जिससे उसके परिजनों का पता चल सके।

डकैत शैतान की मौत नैनीताल हाईवे के बिलवा पुल पर गुरुवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे हुई थी। पुलिस ने उसे रुकने का इशारा किया, लेकिन उसने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में 28 राउंड गोलियां चलीं और शैतान दो गोलियां लगने से मारा गया। घटना के बाद उसका साथी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया।

सात जिलों में दर्ज 19 केस और लाख रुपये का इनाम

शैतान प्रदेशभर में डकैत और लूट का नाम बन चुका था। उसके खिलाफ बरेली, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, संभल, बदायूं और शाहजहांपुर में डकैती, हत्या और लूट के 19 मुकदमे दर्ज थे। हर वारदात के बाद वह ठिकाना और पहचान बदल लेता था। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था।

जांच में पता चला कि शैतान छैमार गिरोह का सरगना था। गिरोह के सदस्य शादियों में बैंड, कैटरिंग या वेटर बनकर शामिल होते थे और घरों की संपत्ति व सुरक्षा की जानकारी जुटाते थे। वहीं, महिलाएं दिन में भीख या पानी मांगने के बहाने कॉलोनियों और गांवों में जातीं और परिवार की स्थिति की जानकारी लेकर गिरोह को देती थीं।

मानवाधिकार आयोग को भेजी गई रिपोर्ट

मुठभेड़ के अगले दिन पुलिस ने बिलवा पुल का दोबारा निरीक्षण किया। मौके पर कई थाना प्रभारी मौजूद रहे और आसपास के लोगों से पूछताछ की गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दो गोलियों से मौत की पुष्टि हुई। शव मोर्चरी में सुरक्षित रखा गया है और मुठभेड़ की रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग को भेज दी गई है।

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