नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अब तक छह याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इन सभी याचिकाओं में एक ही बात कही गई है कि यह मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की एक साजिश है। याचिकाओं में इस कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। साथ ही याचिकाकर्ताओं ने दायर याचिकाओं सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है।
बता दें कि अब तक सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटैक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APSR), जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने याचिका दायर की है।
दो नेताओं ने राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने से पहले दायर की थी याचिका
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बीते शुक्रवार को वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मोहम्मद जावेद बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद हैं और लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक हैं। इसके अलावा वो वक्फ संशोधन विधेयक की समीक्षा करने वाली संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य भी थे। इन दोनों नेताओं ने बिल पर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने से पहले अर्जी दाखिल की थी।
वहीं, शनिवार को इस बिल के खिलाफ आप विधायक अमानतुल्लाह खान और APSR ने शीर्ष अदालत ने याचिका दायर की। हालांकि, तब तक इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी और यह कानून बन चुका था। इसके बाद रविवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।
विपक्ष ने कही ये बात
अपनी याचिका में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि यह कानून देश के उस संविधान पर सीधा हमला है, जो न केवल अपने नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है, बल्कि उन्हें पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है। वहीं, आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29, 30 और 300-ए का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है।
राष्ट्रपति की मंजूरी से कानून बन गया वक्फ विधेयक
बता दें कि लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े थे, जबकि राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 132 और इसके खिलाफ 95 वोट पड़े थे। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद शनिवार को इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही यह कानून बन गया। इस बिल के कानून बनने के बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। आरजेडी, डीएमके समेत कई दलों ने इस कानून को संविधान विरोधी बताया है।