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-संस्कार और शिक्षा का संगम है बरेली का अनूठा प्ले स्कूल संस्कार किड्स किंगडम
अभिषेक पांडेय। बरेली के जाने माने प्ले स्कूल संस्कार किड्स किंगडम के संस्थापक और संचालक आलोक प्रकाश न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं, बल्कि वे बच्चों के संपूर्ण विकास और संस्कारों को आत्मसात करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका दृष्टिकोण शिक्षा को केवल जानकारी देने तक सीमित नहीं रखता, बल्कि बच्चों के नैतिक, मानसिक और सामाजिक विकास को भी प्राथमिकता देता है। माई नेशन के साथ एक साक्षात्कार में, आलोक प्रकाश ने शिक्षा, संस्कार, बच्चों की परवरिश और समाज की भूमिका पर अपने विचार साझा किए।
सवाल: शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का विचार आपको कैसे आया?
जवाब: शिक्षा में रुचि मेरी जड़ों से जुड़ी है। मेरे माता-पिता शिक्षक थे और बचपन से ही मैंने देखा कि किस तरह शिक्षा जीवन को बदल सकती है। मैंने महसूस किया कि अगर बच्चों को सही मार्गदर्शन और वातावरण मिले, तो वे न केवल एक अच्छा जीवन जी सकते हैं बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यही सोच मुझे इस क्षेत्र में खींच लाई।
सवाल: संस्कार किड्स किंगडम प्ले स्कूल की स्थापना के पीछे क्या प्रेरणा थी?
जवाब: जब मैंने शिक्षा क्षेत्र में कदम रखा, तो मैंने महसूस किया कि प्रारंभिक शिक्षा का उद्देश्य केवल अकादमिक ज्ञान देना नहीं होना चाहिए। बच्चों को संस्कारों, सामाजिकता और रचनात्मकता का पाठ पढ़ाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इस सोच के साथ मैंने यह स्कूल शुरू किया, ताकि बच्चे न केवल पढ़ाई में अच्छे बनें, बल्कि एक अच्छे इंसान भी बनें।
सवाल: आपके अनुसार, शिक्षा में संस्कारों का क्या महत्व है?
जवाब: शिक्षा और संस्कार एक सिक्के के दो पहलू हैं। बिना संस्कारों के शिक्षा अधूरी है। आज के समय में बच्चों को नैतिकता, ईमानदारी और सहिष्णुता जैसे गुणों को सिखाना बेहद ज़रूरी है। ये गुण जीवनभर उनकी मदद करते हैं और समाज को बेहतर बनाते हैं।
सवाल: प्ले स्कूल में शिक्षा के तरीके क्या अलग हैं?
जवाब: हमारा ध्यान खेल-आधारित शिक्षा पर है। बच्चे खेलते-खेलते सीखते हैं, जिससे उनकी रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति का विकास होता है। इसके साथ ही, हम नैतिक कहानियों, समूह गतिविधियों और कला जैसे तरीकों से उनकी सामाजिक और भावनात्मक क्षमताओं को बढ़ाने पर भी जोर देते हैं।
सवाल: बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि कैसे जगाई जा सकती है?
जवाब: बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार सिखाने का प्रयास करना चाहिए। अगर शिक्षा को मजेदार बनाया जाए, तो बच्चे इसे बोझ नहीं समझते। उदाहरण के लिए, कहानियों, पज़ल्स और खेल के जरिए पढ़ाई को रोचक बनाया जा सकता है।
सवाल: क्या आपको लगता है कि आज की शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है?
जवाब: हां, बिल्कुल। आज की शिक्षा प्रणाली काफी हद तक परीक्षा और अंकों पर केंद्रित है। हमें इसे बच्चों के कौशल, रचनात्मकता और नैतिक मूल्यों के विकास की दिशा में बदलना होगा। साथ ही, व्यावहारिक शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को भी महत्व देना चाहिए।
सवाल: प्ले स्कूल में माता–पिता की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है?
जवाब: बहुत महत्वपूर्ण। स्कूल के साथ-साथ घर का वातावरण भी बच्चे के विकास में भूमिका निभाता है। माता-पिता को बच्चों के साथ संवाद करना चाहिए, उनके सवालों का जवाब देना चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।
सवाल: क्या आप टेक्नोलॉजी को बच्चों की शिक्षा में सकारात्मक या नकारात्मक मानते हैं?
जवाब: टेक्नोलॉजी एक दो-धारी तलवार है। अगर इसका सही उपयोग किया जाए, तो यह बच्चों को नई जानकारी और रचनात्मकता के रास्ते खोलती है। लेकिन, इसकी अति से बच्चे की सामाजिकता और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सवाल: बच्चों के बीच अनुशासन बनाए रखने के आपके तरीके क्या हैं?
जवाब: हम सकारात्मक अनुशासन में विश्वास करते हैं। बच्चों को सिखाया जाता है कि सही और गलत में फर्क कैसे किया जाए। डांटने के बजाय, हम बातचीत के जरिए उनकी समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं।
सवाल: बच्चों की रचनात्मकता को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है?
जवाब: उन्हें स्वतंत्रता दें कि वे नई चीजें आजमा सकें। कला, संगीत, कहानी लेखन और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में उनकी रुचि को पहचानें और प्रोत्साहित करें। उन्हें सवाल पूछने और अपनी राय व्यक्त करने का मौका दें।
सवाल: आपने अपने स्कूल में बच्चों की नैतिक शिक्षा के लिए क्या विशेष कदम उठाए हैं?
जवाब: हमने ‘संस्कार सत्र’ शुरू किए हैं, जिसमें बच्चे नैतिक कहानियों, सामाजिक मुद्दों और टीम वर्क के महत्व के बारे में सीखते हैं। इसके अलावा, हम उन्हें पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सेवा से भी जोड़ते हैं।
सवाल: बच्चे स्कूल और घर के बीच तालमेल कैसे बना सकते हैं?
जवाब: माता-पिता और शिक्षकों को साथ मिलकर काम करना चाहिए। बच्चों को दोनों जगह एक समान प्रोत्साहन और समर्थन मिलना चाहिए। संवाद और सहिष्णुता इसमें मदद कर सकते हैं।
सवाल: बच्चों को सामाजिक कौशल सिखाने के लिए आप क्या करते हैं?
जवाब: हम टीम एक्टिविटीज़, ग्रुप डिस्कशन्स और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। बच्चों को सिखाया जाता है कि वे अपने दोस्तों की मदद करें, दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें और अपनी बात शालीनता से रखें।
सवाल: क्या आप मानते हैं कि खेल का बच्चों की शिक्षा में योगदान है?
जवाब: खेल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। खेलों से अनुशासन, टीमवर्क और समस्या समाधान की क्षमताएं विकसित होती हैं। इसलिए, खेल को हमारी शिक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा बनाना चाहिए।
सवाल: आप छोटे बच्चों के माता–पिता को क्या सलाह देना चाहेंगे?
जवाब: बच्चों पर अत्यधिक दबाव न डालें। उनकी रुचियों को पहचानें और उन्हें प्रोत्साहित करें। साथ ही, उनकी भावनाओं को समझें और उनके साथ समय बिताएं। यह उनके आत्मविश्वास और भावनात्मक विकास के लिए जरूरी है।
सवाल: आपको क्या लगता है कि बच्चों के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
जवाब: आज की सबसे बड़ी चुनौती है प्रतिस्पर्धा और सामाजिक दबाव। बच्चों को इतना लचीला बनाना चाहिए कि वे चुनौतियों का सामना कर सकें और अपनी असफलताओं से सीख सकें।
सवाल: क्या आपको लगता है कि आज के माता–पिता अधिक व्यस्त हो गए हैं?
जवाब: हां, लेकिन व्यस्तता के बावजूद बच्चों के साथ समय बिताना आवश्यक है। छोटे-छोटे पल, जैसे उनके साथ खाना खाना, खेलना या उनकी बातें सुनना, उनके लिए बहुत मायने रखते हैं।
सवाल: क्या आपके स्कूल में विशेष बच्चे (स्पेशल चाइल्ड) के लिए कोई योजना है?
जवाब: हम समावेशी शिक्षा में विश्वास करते हैं। विशेष बच्चों के लिए हमारे पास विशेष शिक्षकों और योजनाओं का प्रावधान है, ताकि वे भी समान रूप से विकास कर सकें।
सवाल: आपको अपने स्कूल के बच्चों से सबसे अधिक क्या सीखने को मिलता है?
जवाब: बच्चों से मासूमियत, उत्साह और हर स्थिति में सकारात्मकता सीखने को मिलती है। उनकी जिज्ञासा और हर दिन कुछ नया सीखने की चाह प्रेरणादायक है।
सवाल: भविष्य में आपके स्कूल की क्या योजनाएं हैं?
जवाब: हम प्री-स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक बच्चों के लिए एक संपूर्ण शिक्षण प्रणाली विकसित करना चाहते हैं, जहां हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता को पहचान सके।