लखनऊ: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार (15 जुलाई) को लखनऊ कोर्ट में सरेंडर किया। इसके पांच मिनट बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा ने 20-20 हजार रुपये के दो बॉन्ड पर उनको जमानत दी। राहुल के वकील ने जमानत याचिका डाली थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। राहुल कोर्ट के अंदर करीब 30 मिनट तक रहे।
राहुल गांधी दिल्ली से लखनऊ एयरपोर्ट आने के बाद सीधे एमपी-एमएलए कोर्ट पहुंचे थे। भारतीय सेना पर की गई टिप्पणी को लेकर कोर्ट ने उन्हें पेश होने का आदेश दिया था। पिछली 5 सुनवाई के दौरान राहुल हाजिर नहीं हुए। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें समन जारी किया था। जमानत मिलने के बाद राहुल कोर्ट से सीधे अमौसी एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए।
सांसद प्रमोद तिवारी की पुलिस से नोकझोंक
कांग्रेस सांसद राहुल के वकील प्रांशु अग्रवाल ने कोर्ट से राहुल की पेशी पर छूट की मांग की थी। मगर, कोर्ट ने राहुल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था। कोर्ट गेट पर गाड़ियों का काफिला पहुंचते ही पुलिस ने राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी और आराधना मिश्रा की कार रुकवा दी। पुलिस से नोकझोंक के बाद दोनों लोग पैदल चलकर अंदर गए।
अब पूरा मामला पढ़िए
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने 11 फरवरी को सीजेएम कोर्ट में राहुल के खिलाफ केस दायर किया था। इसमें कहा कि राहुल ने 16 दिसंबर, 2022 को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना पर टिप्पणी की थी। उन्होंने 9 दिसंबर, 2022 को भारत-चीन सीमा पर हुई झड़प का जिक्र किया। राहुल ने कहा था कि चीनी सैनिक भारतीय सेना के जवानों को पीट रहे थे।
पूर्व निदेशक ने दावा किया था कि राहुल का यह बयान तथ्यों के विपरीत और भ्रामक था। इससे न सिर्फ भारतीय सैनिकों का मनोबल प्रभावित हुआ, बल्कि उनके परिजनों की भावनाएं भी आहत हुईं। दरअसल, 12 दिसंबर, 2022 को भारतीय सेना ने कहा था कि चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण की कोशिश की। भारतीय जवानों ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। इस टकराव में दोनों पक्षों के सैनिकों को हल्की चोटें आई थीं। हमारे जवानों ने चीनी सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था।