लखनऊ: राजधानी स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में जल्द ही दिल का प्रत्यारोपण (Heart Transplant) शुरू होगा। सीवीटीएस विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। विभाग के स्थापना दिवस पर शनिवार को विभागाध्यक्ष प्रो. एसके अग्रवाल ने बताया कि तीन मरीज प्रतीक्षा सूची मे हैं। मस्तिष्क-मृत (कैडेवर) व्यक्ति का स्वस्थ दिल मिलते ही ट्रांसप्लांट किया जाएगा।
ट्रांसप्लांट के लिए कम से कम 90 प्रतिशत काम करने वाला दिल होना चाहिए। एमजीएम हेल्थकेयर चेन्नई के डॉ. केआर बालकृष्णन, एचएन रिलायंस फाउंडेशन मुंबई के डॉ अन्वय मुले, एएफएमसी पुणे के डॉ (ब्रिगेडियर) समीर कुमार और मैक्स हॉस्पिटल नई दिल्ली के डॉ. रजनीश मल्होत्रा जैसे मुख्य सीवीटीएस सर्जन ने सीवीटीएस क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और अनुभव को साझा किए।
हार्ट सर्जरी का इंतजार अब सिर्फ छह महीने
प्रो. एसके अग्रवाल ने बताया कि पहले हार्ट सर्जरी के लिए एक साल तक इंतजार करना पड़ता था, अब समय घटकर छह महीने रह गया है। विभाग में तीन ऑपरेशन थिएटर संचालित हैं, दो जल्द शुरू होने वाले हैं। प्रत्येक महीने 80 से 85 सर्जरी हो रही हैं। इसे 150 तक ले जाना लक्ष्य है। सर्जरी बढ़ाने के लिए सदस्यों की संख्या बढ़ाई जा रही है। अभी पांच विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। 11 नए पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। तीन नए विशेषज्ञ जल्द शामिल होने की उम्मीद है।
मिनिमल इनवेसिव और रोबोटिक सर्जरी अपनाने से मरीजों में जटिलताएं कम हुई हैं। मृत्यु दर 10 से घटकर 2 प्रतिशत रह गई है। विभाग को स्वदेशी सर्जिकल रोबोट की जरूरत है। इसके लिए देश में बने ‘एसएसआई मंत्रा’ रोबोट पर विचार किया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सर्जरी को और अधिक सटीक व सुरक्षित बनाया जाएगा।
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि विभाग में बच्चों की जन्मजात हृदय विकृति, बच्चों के दिल की अन्य खराबियों, बायपास और वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस सर्जरी होती हैं। इन सभी मरीजों के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट ही स्थायी इलाज है।