उत्तर प्रदेश, राजनीति

यूपी बीजेपी के नए अध्‍यक्ष होंगे पंकज चौधरी, सात बार से सांसद और केंद्र में हैं मंत्री

यूपी बीजेपी के नए अध्‍यक्ष होंगे पंकज चौधरी, सात बार से सांसद और केंद्र में हैं मंत्री

लखनऊ: केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को भारतीय जनता पार्टी उत्‍तर प्रदेश (UP BJP) का नया अध्यक्ष बनाया जाएगा। शनिवार (13 दिसंबर) को लखनऊ स्थित भाजपा कार्यालय में उन्‍होंने नामांकन दाखिल किया। चौधरी के अलावा किसी और ने नामांकन नहीं किया है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी चौधरी का निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना तय है।

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, दोनों उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक सहित 10 नेताओं ने पंकज चौधरी के नाम का प्रस्ताव रखा। जैसे ही गोरखपुर में उनकी मां को यह बात पता चली तो वह भावुक हो गईं। उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े और रोते हुए कहा- ‘बेटा आगे बढ़े, यही आशीर्वाद है।’

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल करेंगे ऐलान

अब रविवार (14 दिसंबर) को लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा करेंगे। इससे पहले, दोपहर ढाई बजे तक यूपी भाजपा अध्यक्ष के नाम पर सस्पेंस बना रहा। सुबह 11 बजे पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति पार्टी दफ्तर पहुंचीं तो अचानक हलचल तेज हो गई थी, जब साध्वी से नए अध्यक्ष को लेकर सवाल किया तो वह मुस्कुराने लगीं। बोलीं- थोड़ी देर में सबकुछ सामने आ जाएगा।

फिर डेढ़ बजे पंकज चौधरी पीयूष गोयल के साथ दिल्ली से लखनऊ पहुंचे तो उन्होंने सस्पेंस और बढ़ा दिया। कहा- अभी पार्टी दफ्तर जा रहा हूं, बाद में पता चलेगा। हालांकि, कुछ देर बाद मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने पहली बार बिना नाम लिए नए प्रदेश अध्यक्ष का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि नए अध्यक्ष 7 बार सांसद रहे हैं। वे अपने समाज में भी लोकप्रिय हैं। उन्होंने पार्टी में अहम जिम्मेदारी निभाई है। स्वतंत्र देव का स्पष्ट इशारा पंकज चौधरी की तरफ था।

महाराजगंज से सात बार के सांसद हैं पंकज सिंह

पंकज चौधरी, योगी आदित्‍यनाथ के गढ़ गोरखपुर से हैं। वह महाराजगंज से सात बार के सांसद हैं। ओबीसी के कुर्मी बिरादरी से आते हैं। बता दें कि यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति 15 जनवरी 2025 को होनी थी, लेकिन महाराष्ट्र चुनाव तो कभी यूपी उपचुनाव और फिर बिहार चुनाव के चलते मामला लटकता चला गया।

पंकज चौधरी के प्रस्तावकों में कौन-कौन?

प्रस्तावकों में एक ठाकुर, एक ब्राह्मण, एक पारसी, दो भूमिहार, दो दलित और तीन ओबीसी हैं।

  • सीएम योगी आदित्‍यनाथ
  • डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य
  • डिप्‍टी सीएम ब्रजेश पाठक
  • स्मृति ईरानी
  • सूर्यप्रताप शाही
  • स्वतंत्रदेव सिंह
  • दारा सिंह चौहान
  • एके शर्मा
  • कमलेश पासवान
  • असीम अरुण

पंकज चौधरी पर क्यों लगाया दांव?

सियासी विशेषज्ञ कहते हैं कि पंचायत और विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने ओबीसी के कुर्मी समाज से आने वाले चौधरी पर दांव लगाया है, क्योंकि कुर्मी समाज की आबादी, यादवों के बाद सबसे ज्यादा है। कुर्मी समाज को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है, लेकिन लोकसभा में इस समाज का एक हिस्सा PDA के नाम पर सपा के साथ गया था। इसे देखते हुए भाजपा ने दांव खेला है।

पिछड़े समाज में इनकी मजबूत पकड़ के अलावा, संगठन में इनको लेकर कभी गतिरोध सामने नहीं आया। शुरुआत से ही पार्टी की ओर से मिली जिम्मेदारी का बखूबी निवर्हन कर आगे बढ़ते चले गए। इनके विरोधी भी इनके व्यक्तित्व की सराहना करते हैं। पार्टी को पिछडे़ समाज में पंकज की मजबूत पकड़ होने का फायदा मिल सकता है। परंपरागत मत सहेजने के साथ पीडीए कमजोर करने का दांव पार्टी ने खेला है। अब तक गुण गणित के मुताबिक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय है।

भाजपा के चौथे कुर्मी जाति के अध्यक्ष होंगे पंकज चौधरी

पंकज चौधरी कद्दावर नेता हैं। अच्छे प्लानर माने जाते हैं। पार्षद से राजनीति की शुरुआत की। गोरखपुर के डिप्टी मेयर रहे। सन् 1991 में पहली बार सांसद बने। राहत रूह तेल कंपनी के मालिक हैं। साल 2024 में 11 कुर्मी सांसद चुने गए। इनमें 3 भाजपा, 7 सपा के हैं। कुर्मी वोटों का ध्रुवीकरण हुआ। भाजपा अब नहीं चाहती कि कुर्मी वोट बंटे।

यूपी भाजपा में इससे पहले तीन बार कुर्मी भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं- विनय कटियार, स्वतंत्र देव सिंह और ओम प्रकाश सिंह। पंकज बने तो भाजपा के चौथे कुर्मी जाति के अध्यक्ष होंगे। गोरखपुर की राजनीति में योगी और पंकज चौधरी ही बीजेपी के दो बड़े क्षत्रप हैं। दोनों की राजनीति का तरीका अलग है। एक को सरकार और एक को संगठन की कमान सौंपने के भी कई राजनीतिक मायने हैं।

पंकज चौधरी के बारे में

गोरखपुर के घंटाघर हरबंश गली स्थित घर में 20 नवंबर, 1964 में जन्मे पंकज चौधरी ने एमपी इंटर कॉलेज और गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण किया। औद्योगिक घराने में जन्मे पंकज चौधरी ने राजनीति में कदम रखा और नगर निगम गोरखपुर में पार्षद बने और डिप्टी मेयर बने। राजनीति के इस सफर में महराजगंज के जिला पंचायत में वह अजेय खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं।

बताते चलें कि महाराजगंज जिला पंचायत के अस्तित्व में आते ही पंकज चौधरी के बड़े भाई उद्योगपति स्वर्गीय प्रदीप चौधरी प्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष बने, उसके बाद दो बार लगातार पंकज चौधरी की माता उज्ज्वल चौधरी जिला पंचायत की अध्यक्ष बनीं। इसके बाद जिस व्यक्ति के सिर पर पंकज चौधरी ने हाथ रखा, वह जिला पंचायत का अध्यक्ष बना। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावो में पंकज चौधरी के सामने तमाम बाधाएं आईं, विपक्ष में रहते हुए पंकज चौधरी ने जिला पंचायत पर अपना कब्जा बरकरार रखा।

1989 में पार्षद बन की राजनीति की शुरुआत

पंकज चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सन् 1989 में गोरखपुर नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़ने के साथ की थी। वो पार्षद के चुनाव में जीते थे। 1989 में ही गोरखपुर से कटकर महाराजगंज अलग जिला बना, जिसके बाद से पंकज चौधरी ने महराजगंज को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया। सन् 1990 में ही भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्य समिति सदस्य हुए। 10वीं लोकसभा में सन् 1991 में महराजगंज संसदीय सीट से भाजपा के सिम्बल पर सांसद चुने गए। 11वीं और 12वीं लोकसभा में सन् 1996, 1998 में सांसद चुने गए।

सन् 1999 में सपा के अखिलेश से हार मिली और साल 2004 में पुन: निर्वाचित हुए। साल 2009 में कांग्रेस के स्वर्गीय हर्षवर्धन से हार मिली। साल 2014 से लगातार लोकसभा के सदस्य हैं। मोदी कैबिनेट के पहले विस्तार में उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री का पद मिला। साल 2024 में चुनाव जीते और मंत्री बने। भाजपा ने पंकज चौधरी का हाथ नहीं छोड़ा।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *