हेल्थ

अब दवाओं के दुष्प्रभावों को रिपोर्ट करना होगा और भी आसान

अब दवाओं के दुष्प्रभावों को रिपोर्ट करना होगा और भी आसान
  • आशा वर्कर, सीएचओ, कम्युनिटी फार्मेसिस्ट का मिलगा समर्थन, फार्माकोविजिलेंस सप्ताह का समापन

  • फार्मेसिस्ट फेडरेशन ने पूरे सप्ताह चलाया जागरूकता अभियान

लखनऊ: आशा वर्कर, सीएचओ और कम्युनिटी फार्मेसिस्ट के समर्थन से दवाओं का दुष्प्रभाव रिपोर्ट करना आसान और प्रभावशाली हो सकेगा। इसी के साथ सभी चिकित्सालयों को फार्माकोविजिलेंस के लिए सतर्क होना मरीजों की जीवन रक्षा के लिए अनिवार्य है। इंडियन फार्माकोपिया कमीशन के निर्देशन में औषधियों के प्रतिकूल प्रभाव को रिपोर्ट करने की संस्कृति का निर्माण करने हेतु फार्मेसिस्ट फेडरेशन द्वारा किए गए अपील पर पूरे उत्तर प्रदेश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए, जिसका समापन एटा में आयोजित वेबिनर में किया गया। वेबिनर में फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन एवं फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव द्वारा अपना व्याख्यान देते हुए यह अपील की गई। डॉक्टर सत्येंद्र के निर्देशन में विभिन्न कार्यक्रम संपन्न हुए।

रेडियो सहित अनेक चैनलों पर प्रसारित की गईं वार्ताएं

इसके पूर्व विभिन्न संस्थानों के साथ रेडियो सहित अनेक चैनलों पर वार्ताएं प्रसारित की गईं। प्रयागराज में एक सेमिनार आयोजित हुआ जिसमे मंडल के फार्मेसिस्ट शामिल थे, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्विद्यालय में आयोजित वेबिनार को भी सुनील यादव के साथ निदेशक डॉक्टर शैलेंद्र, प्रो विजय, प्रो अजय शुक्ला, प्रो विष्णु, प्रो कुणाल ने भी संबोधित किया। जनता को यह बताने का प्रयास किया गया कि यदि कोई भी दवा गलत प्रतिक्रिया देती है तो टोल फ्री नंबर 18001803024 या पीवीपीआई की वेबसाइट पर रिपोर्ट कीजिए। कोई भी स्वास्थ्य प्रदाता या मरीज स्वयं यह रिपोर्ट कर सकता है। इसमें मरीज की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाता है। यह मरीजों की सुरक्षा के लिए प्रभावी हथियार होगा।

सुनील यादव ने बताया कि आपकी सुरक्षा बस एक क्लिक दूर-पीवीपी आई को रिपोर्ट करें विषय के साथ  भारत में 17 सितंबर से औषधि और औषधीय सामग्री द्वारा उत्पन्न प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया (एडवर्स ड्रग रिएक्शन) को रिपोर्ट करने के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से फार्माकोविजिलेंस सप्ताह का आयोजन किया गया। फेडरेशन ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी अनुरोध किया है कि ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों प्रधानों, आशा, आंगनबाड़ी आदि तक जागरूकता पहुंचाने हेतु व्यापक कार्ययोजना बनाई जाए, जिससे औषधियों के दुष्प्रभाव से मरीज को बचाया जा सके।

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