उत्तर प्रदेश, स्पेशल स्टोरी

निर्मल-अविरल गंगा, स्वच्छ-सुंदर प्रयागराज का संकल्प किया पूरा

निर्मल-अविरल गंगा, स्वच्छ-सुंदर प्रयागराज का संकल्प किया पूरा
  • उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह ने साझा किए महाकुंभ से जुड़े अपने अनुभव

अभिषेक पाण्डेय

लखनऊ। आस्था और अध्यात्म का महापर्व महाकुंभ-2025 कभी न मिटने वाली यादें छोड़कर विदा हो गया है। 45 दिन तक चले दुनिया के सबसे बड़े सनातन समागम में 66.30 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। कुंभ में पावन-निर्मल गंगा और महाकुंभनगर की शानदार व्यवस्थाओं की तारीफ हर श्रद्धालु ने की।

इस महाआयोजन को भव्य-दिव्य और अविस्मरणीय बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जुटे विभिन्न विभागों ने दिन-रात एक कर दिए। पुलिस प्रशासन, नगर विकास, पर्यटन, सिंचाई विभाग के साथ-साथ एक ऐसी टीम भी महाकुंभ में दिन-रात काम कर रही थी, जिसके जिम्मे मां गंगा की धारा को स्वच्छ और अविरल रखने का काम था। उस टीम की अगुआई कर रहा था- उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

महाकुंभ के आयोजन से महीनों पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपना काम शुरू कर दिया था। गंगा में कहीं भी गंदे नाले और सीवर न गिरें, यह तय करने के साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि मेला क्षेत्र और पूरे प्रयागराज में कहीं गंदगी और वायु प्रदूषण भी न फैले। इस महाआयोजन में बोर्ड ने यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पूरी कुशलता के साथ कैसे निभाई, यह जानने के लिए माई नेशन ब्यूरो चीफ अभिषेक पांडेय ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह से विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह ने साझा किए महाकुंभ से जुड़े अपने अनुभव

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन डॉ. रविन्द्र प्रताप सिंह

 

सवाल: महाकुंभ के आयोजन को सफल बनाने में प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या विशेष कदम उठाए गए?

जवाब: महाकुंभ के दौरान गंगा का जल समुचित मात्रा में था, जल प्रदूषित न हो इसके लिए पहले से ही राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्य कर रहे थे। सीवर व उद्योग का पानी शुद्ध करने के बाद ही डाला जाए, ऐसी व्यवस्था की गई थी।

सवाल: महाकुंभ के दौरान जल और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कौन से ठोस उपाय किए गए?

जवाब: सभी नालों के पानी को शुद्ध करने के बाद ही डाला जाना सुनिश्चित किया गया और कई बांधों से पानी छोड़ा गया। महाकुंभ के दौरान लगातार सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा था, जिससे वायु प्रदूषण नियंत्रित रहे। इसके फलस्वरूप पूरे आयोजन के दौरान वायु प्रदूषण नियंत्रित था।

सवाल: क्या महाकुंभ के आयोजन के बाद प्रदूषण के स्तर में कोई महत्वपूर्ण बदलाव आया?

जवाब: महाकुंभ के दौरान प्रदूषण नियंत्रित स्तर पर था। राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त प्रोजेक्ट बनाए गए थे। पानी का लगातार छिड़काव सड़कों पर हो रहा था और पानी का स्तर काफी अच्छा रखा गया था।

सवाल: महाकुंभ के आयोजन के साथ पर्यावरणीय चुनौतियां कैसे जुड़ी हुई थीं और इनका समाधान कैसे किया गया?

जवाब: महाकुंभ के दौरान पॉलीथीन व अन्य ठोस कूड़ा काफी ज्यादा मात्रा में इकट्ठा होने की संभावना थी, इसके लिए राज्य सरकार ने बहुत अच्छे इंतजाम किए थे। पॉलीथीन का उपयोग कम से कम किया जाए, इसके लिए प्रचार-प्रसार किया गया। साधु-संतों व अखाड़ों का बड़ा सहयोग रहा और सबने पॉलीथीन को कम उपयोग में लाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। ठोस कूड़े को हर समय और हर दिन मेला क्षेत्र से निकालकर समुचित जगह ले जाया गया और उसका निस्तारण किया गया।

सवाल: गंगा के प्रदूषण को लेकर बोर्ड ने किस तरह के उपाय किए और इनका असर क्या हुआ?

जवाब: प्रदूषण पर रोकथाम के लिए तरह-तरह के उपाय लगभग हर शहर में किए गए। जिन शहरों से पानी गंगा में आता था, वहां के उद्योगों से शुद्धीकृत पानी ही प्रवाहित करने दिया गया। संगम व अन्य जगहों पर लगातार पानी की गुणवत्ता का परीक्षण एवं समीक्षा की गई और आवश्यक कदम उठाए गए।

सवाल: महाकुंभ के दौरान इकोफ्रेंडली या पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कोई खास पहल की गई थी?

जवाब: जूट व कपड़े के झोले के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया। पॉलीथीन को न उपयोग करने की मुहिम चलाई गई। पॉलीथीन मुक्त महाकुंभ का नारा सफल रहा।

सवाल: क्या आम श्रद्धालुओं को प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए कोई विशेष अभियान चलाए गए थे?

जवाब: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कुंभ के पहले ही जन जागरूकता अभियान किया गया था। प्रयागराज में पॉलीथीन का उपयोग न करने के लिए रैली निकाली गई। साथ ही विभिन्न साधु-संतों और अखाड़ों से मिलकर पॉलीथीन मुक्त कुंभ करने का आग्रह व आह्वान किया गया था। पूरे कुंभ के दौरान हमारे स्वयंसेवी मेला क्षेत्र में पॉलीथीन का उपयोग न करने का जन जागरण करते रहे।

सवाल: महाकुंभ आयोजन के दौरान सभी संबंधित विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए बोर्ड ने किस प्रकार की पहल की?

जवाब: राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के बीच लगातार समन्वय बैठकें होती रहीं, जमीनी स्तर पर नदियों के जल की गुणवत्ता का परीक्षण होता रहा और विभिन्न एजेंसियों को जरूरी कदम उठाने के लिए कहा गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *