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किसी की पीठ पर सास तो कोई कांवड़ से मां को ले गया महाकुंभ, जानें मेले के अद्भुत किस्‍से

किसी की पीठ पर सास तो कोई कांवड़ से मां को ले गया महाकुंभ, जानें मेले के अद्भुत किस्‍से

प्रयागराज: उत्‍तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में आयोजित महाकुंभ (Prayagraj Mahakumbh 2025) में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड तोड़ भीड़ पहुंच रही है। अबतक करीब 15 करोड़ लोगों ने संगम में आस्‍था की डुबकी लगाई है। भीड़ इतनी है कि लोगों का खाली हाथ और पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। इस आपाधापी के बीच कुछ तस्वीरें ऐसी भी सामने आ रही हैं, जिन्हें देखकर दिल से निकलता है- वाह!

महाकुंभ मेले में एक तस्वीर में जहां एक महिला अपनी बुजुर्ग सास को पीठ पर बैठाकर भीड़ के साथ संगम की ओर बढ़ती दिख रही है तो वहीं, दूसरी ओर एक बेटा अपनी 70 वर्षीय मां को कांवड़ में बैठाकर संगम में स्नान कराने लाया है। इसी प्रकार एक दिव्यांग व्यक्ति जमीन पर घिसटते हुए भी मेले में पहुंच गया है।

सास को पीठ पर लेकर आठ किमी पैदल चली महिला

एक महिला लगभग आठ किमी तक बिना रुके और थके मेले में पहुंची। उसकी पीठ पर सास थीं। इसके बावजूद महिला के चेहरे की मुस्कुराहट बता रही है कि वह अपनी सास को स्नान कराकर बहुत बड़ा पुण्य पाने वाली है। महिला ने बताया कि सास ने महाकुंभ में स्नान की इच्छा जताई थी।, लेकिन इतनी भीड़ होने की खबरों से हिम्मत नहीं पड़ रही थी। बावजूद इसके उसने ठान लिया कि हर हाल में अपनी सास की इच्छा पूरी करेगी। इसके बाद वह अपने घर से प्रयागराज तो आ गई, लेकिन यहां पता चला कि 8 किमी पैदल चलना है। इसके बावजूद महिला ने हिम्मत नहीं हारी और सास को पीठ पर बैठाकर महाकुंभ पहुंच गई।

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बुजुर्ग मां को कंधे पर बैठाकर लाया बेटा

अमेठी जिले के कुशवैरा गांव में किसान महेश तिवारी रहते हैं। उनकी मां ने संगम स्नान की इच्छा जताई। यह इच्छा उनके दिल में लंबे समय से थी। हालांकि, संगम पर उमड़ी भारी भीड़ के कारण महेश उन्हें सामान्य तरीके से स्नान कराने में असमर्थ हो रहे थे। फिर भी उन्होंने मां के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया। महेश ने मां को रेलवे स्टेशन से अपने कंधे पर बैठाया और प्रयागराज स्टेशन से संगम तक पैदल यात्रा की। वहां उन्होंने मां को संगम स्नान कराया। संगम में नहाकर उनकी मां की कई साल पुरानी इच्छा पूरी हो गई। स्नान के बाद महेश ने मां को फिर से अपने कंधों पर बैठाया और स्टेशन तक वापस ले गए।

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झांसी से हाथों के बल चलकर महाकुंभ आया सुरेश

झांसी का रहने वाला सुरेश कुमार पाल पैरों से दिव्यांग है। वह हाथों के बल चलकर महाकुंभ पहुंचा है। झांसी से प्रयागराज की दूरी 400 किमी है। वह बैठे-बैठे चल पाता है। सुरेश पाल ने बताया कि सब लोग आ रहे थे। मेरा भी आने का मन किया। लोगों ने कहा दिव्यांग हो पैदल नहीं जा पाओगे। इसके बाद मैं पैदल ही झांसी से यहां आया हूं। ऐसा मेला पहले कभी नहीं देखा। व्यवस्था काफी अच्छी है। यहां से स्नान करके ऐसे ही पैदल घर जाऊंगा। कोई दिक्कत नहीं है।

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मां को कांवड़ से लेकर महाकुंभ आया बेटा

जौनपुर का एक युवक अपनी 70 साल की मां को कांवड़ से लेकर प्रयागराज आया। मां-बेटा मौनी अमावस्या पर स्नान करके वापसी करेंगे।

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95 साल की मां को तांगा खींचकर महाकुंभ ला रहा बेटा

मुजफ्फरनगर के खतौली ब्लॉक में 65 साल के सुदेश पाल रहते हैं। उनकी 95 वर्षीय मां ने इस बार महाकुंभ में स्नान करने की इच्छा जताई थी। बेटे ने मां की इच्छा का पूरा सम्मान रखा। उन्होंने मां को बग्गी में बैठाया और उसे खुद खींचते हुए घर से निकल आए। करीब 700 किमी की दूरी तय करके वह महाकुंभ पहुंचेंगे।

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खास बात यह है कि सुदेश पाल के घुटने खराब हो गए थे। मगर, अपनी मां की दुआओं और इलाज से वह फिर से चलने में सक्षम हो गए। सुदेश ने यह कहा कि मां की दुआओं ने मुझे फिर से चलने लायक बनाया। अब मैं उन्हें महाकुंभ के पवित्र अवसर पर लेकर जा रहा हूं।

चेहरे से पांव तक सिर्फ राम-राम

महाकुंभ नगर के सेक्टर-18 में 43 श्रद्धालुओं का जत्था सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। चेहरे और हाथों पर राम-राम का गोदना करवाए महिलाएं भी इनमें शामिल हैं। इनके कैंप से 24 घंटे राम-राम की धुन सुनाई देती है। पहनावे में सफेद कपड़े और उस पर भी सिर्फ राम-राम ही नजर आता है। ये श्रद्धालु कोई और नहीं, छत्तीसगढ़ से आया रामनामी पंथ समाज है। इसे देश-दुनिया में बहुत कम लोग ही जानते हैं।

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रुद्राक्ष की माला बेच रही सरोजनी

महाकुंभ मेले में आस्था के साथ-साथ रोजगार के भी अवसर खिले हैं। नेपाल से आई सरोजनी भी इन्हीं में से एक है। वह महाकुंभ में रुद्राक्ष की माला बेचकर हर दिन हजारों रुपये कमा रही है। सरोजनी ने बताया कि नेपाल में रुद्राक्ष की माला बनाने का काम होता है। वह अपने परिवार के साथ महाकुंभ में आई है और यहां रुद्राक्ष की माला बेचकर अच्छी कमाई कर रही है। महाकुंभ में रुद्राक्ष की मांग ज्यादा है और लोग उनसे खुशी-खुशी माला खरीद रहे हैं।

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