उत्तर प्रदेश, धर्म-कर्म, राजनीति, स्पेशल स्टोरी

Monsoon Session UP: सरकार ने सदन पटल पर रखा श्री बांके बिहारीजी मंदिर न्यास अध्यादेश 2025

Monsoon Session UP: सरकार ने सदन पटल पर रखा श्री बांके बिहारीजी मंदिर न्यास अध्यादेश 2025
  • अध्यादेश के ड्राफ्ट में मंदिर की परंपरा को सुरक्षित रखने, प्रबंधन सशक्त करने और आधुनिक सुविधाओं को लेकर किए गए प्रावधान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मथुरा स्थित विश्वप्रसिद्ध श्री बांके बिहारी जी मंदिर के संचालन, संरक्षण और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ‘श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश, 2025’ विधानसभा के पटल पर रख दिया है। यह अध्यादेश परंपरागत पूजा-पद्धति और धार्मिक मान्यताओं को बिना छुए, प्रबंधन, सुरक्षा और सेवा-सुविधाओं को आधुनिक स्वरूप देने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस अध्यादेश के लागू होने से श्री बांके बिहारी जी मंदिर न केवल अपनी प्राचीन आध्यात्मिक परंपराओं को बनाए रखेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को सुरक्षित, सुगम और आधुनिक अनुभव भी प्रदान करेगा।

न्यास का मुख्य उद्देश्य

▪स्वामी हरिदास के समय से चली आ रही पूजा-पद्धतियों, त्यौहारों और अनुष्ठानों की निर्बाध निरंतरता

▪श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और सहज दर्शन की व्यवस्था

▪प्रसाद वितरण, दिव्यांगजनों व वरिष्ठ नागरिकों के लिए पहुंच-सुविधा

▪पेयजल, विश्राम स्थल, कतार प्रबंधन, गौशाला, अन्नक्षेत्र, यात्रागृह, होटल और प्रदर्शनी कक्ष जैसी आधुनिक सुविधाएं

▪मंदिर की संरचनात्मक सुरक्षा व दीर्घकालिक संरक्षण हेतु विशेषज्ञ परामर्श

▪दान, चढ़ावे और संपत्तियों के प्रबंधन में वित्तीय पारदर्शिता

▪तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और आस-पास क्षेत्र का योजनाबद्ध विकास

बोर्ड की संरचना

न्यास का संचालन 18 सदस्यीय न्यासी बोर्ड करेगा। इसमें  11 नामनिर्दिष्ट सदस्य होंगे, जिनमें 3 वैष्णव परंपरा से, 3 अन्य सनातन परंपराओं से, 3 विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति, 2 गोस्वामी परंपरा से (राज-भोग व शयन-भोग सेवायत) होंगे। इसके अतिरिक्त 7 पदेन सदस्य होंगे, जिनमें जिलाधिकारी मथुरा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, धर्मार्थ कार्य विभाग का एक अधिकारी, श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ और राज्य सरकार द्वारा नामित एक सदस्य सम्मिलित होंगे। नामनिर्दिष्ट न्यासियों का कार्यकाल 3 वर्ष होगा, पुनर्नियुक्ति अधिकतम दो बार हो सकेगी। सभी न्यासी हिंदू और सनातन धर्म मानने वाले होंगे।

बोर्ड की शक्तियां और कर्तव्य

▪प्रशासनिक, प्रबंधकीय और पर्यवेक्षी शक्तियों का प्रयोग

▪न्यास निधि का प्रबंधन, निवेश, आय-व्यय की स्वीकृति

▪चल-अचल संपत्ति का अधिग्रहण या स्वीकृति

▪20 लाख रुपये तक की संपत्ति की खरीद-फरोख्त की अनुमति, इससे अधिक पर राज्य सरकार की स्वीकृति अनिवार्य

▪कानूनी मामलों में प्रतिनिधित्व और वकीलों की नियुक्ति

▪पुजारियों, सेवायतों और कर्मचारियों की नियुक्ति, सेवा शर्तें व वेतन निर्धारण

▪आवश्यक कार्यों और शक्तियों का प्रत्यायोजन

▪तीसरे पक्ष के अधिकारों को रोकना, संपत्ति का विक्रय या पट्टा केवल राज्य सरकार की अनुमति से

▪मंदिर की संपत्तियों, आभूषणों और मूल्यवान वस्तुओं की सुरक्षा

राज्य सरकार का नहीं होगा कोई दखल

अध्यादेश में स्पष्ट किया गया है कि मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क), 19(1)(6), 25 और 26 के अनुरूप सभी धार्मिक पहलुओं का सम्मान किया जाएगा। राज्य सरकार का उद्देश्य केवल वित्तीय पारदर्शिता और संसाधनों का जवाबदेह उपयोग सुनिश्चित करना है, न कि मंदिर की आस्तियों पर किसी तरह का अधिकार जताना।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *