नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 92 वर्ष की उम्र में 26 दिसंबर की रात दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। AIIMS के अनुसार, अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद रात 8:06 बजे गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल लाया गया था। पूर्व पीएम के परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं। शनिवार को मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी समेत कई दिग्गज नेताओं ने मनमोहन सिंह के घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
देश के 14वें प्रधानमंत्री रहे मनमोहन बेहद कम बोलते थे। हालांकि, आधार, मनरेगा, आरटीआई, राइट टु एजुकेशन जैसी स्कीम्स उनके कार्यकाल में ही लॉन्च हुईं, जो आज बेहद कारगर साबित हो रही हैं। मनमोहन सिंह की पहचान राजनेता से ज्यादा अर्थशास्त्री के तौर पर रही। देश की इकोनॉमी को नाजुक दौर से निकालने का क्रेडिट भी उन्हें दिया जाता है। कम ही लोगों को पता है कि डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री आवास में रहने के बावजूद खुद को आम आदमी कहते थे। उन्हें सरकारी BMW से अधिक अपनी मारुति 800 पसंद थी। वो इस कार को अपने सरकारी प्रधानमंत्री आवास में रखते थे।
योगी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने किया खुलासा
इस बारे में योगी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने बताया कि मारुति 800 डॉ. साहब की अपनी एक ही कार थी, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी। मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते, असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है (मारुति)।
मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा। एसपीजी में पीएम की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है – क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। यदि एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा… pic.twitter.com/468MO2Flxe
— Asim Arun (@asim_arun) December 26, 2024
मनमोहन सिंह को दादा-दादी ने पाला
मनमोहन सिंह पाकिस्तान से विस्थापित होकर हल्द्वानी आए थे। बचपन में मां का निधन हो गया। दादा-दादी ने पाला। गांव में लालटेन की रोशनी में पढ़ाई की। पिता चाहते थे कि वे डॉक्टर बनें, इसलिए प्री-मेडिकल कोर्स में दाखिला लिया। हालांकि, कुछ महीनों बाद ही उन्होंने कोर्स छोड़ दिया। मनमोहन सिंह की शुरुआती पढ़ाई उर्दू में हुई थी। जब प्रधानमंत्री बने, तब भी स्पीच की स्क्रिप्ट उर्दू में ही लिखते थे। कई बार गुरुमुखी में भी लिखी।
ऑक्सफोर्ड से योजना आयोग तक
मनमोहन सिंह ने सन् 1948 में मैट्रिक की। कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। करियर की शुरुआत पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक के रूप में की। सन् 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने। सन् 1972 में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार बने। सन् 1985 से 1987 योजना आयोग के प्रमुख और 1982 से 1985 रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे। पीवी नरसिम्हा राव ने सन् 1991 में वित्त मंत्री बनाया। साल 2018 में कांग्रेस से राज्यसभा पहुंचे। उनका कार्यकाल अप्रैल, 2024 में समाप्त हुआ था।
हमेशा नीली पगड़ी क्यों पहनते थे मनमोहन सिंह?
डॉ. मनमोहन सिंह अक्सर नीली पगड़ी पहनते थे, इसके पीछे का राज उन्होंने 11 अक्टूबर, 2006 को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में खोला था। उन्हें ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, प्रिंस फिलिप ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया था। तब प्रिंस फिलिप ने अपने भाषण में कहा था, ‘आप उनकी पगड़ी के रंग पर ध्यान दे सकते हैं।’
इस पर मनमोहन सिंह ने कहा कि नीला रंग उनके अल्मा मेटर कैम्ब्रिज का प्रतीक है। कैम्ब्रिज में बिताए मेरे दिनों की यादें बहुत गहरी हैं। हल्का नीला रंग मेरा पसंदीदा है, इसलिए यह अक्सर मेरी पगड़ी पर दिखाई देता है।
सोनिया के खिलाफ जाकर साइन की न्यूक्लियर डील
मनमोहन सिंह की दूसरी बड़ी उपलब्धि अमेरिका के साथ परमाणु करार थी। जनवरी, 2014 में आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इसे अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया था। साल 2006 में डॉ. मनमोहन सिंह ने वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के साथ न्यूक्लियर डील साइन की। इसके जरिए परमाणु व्यापार को लेकर भारत का 30 साल का वनवास खत्म हो रहा था। सन् 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने तमाम प्रतिबंध लगा दिए थे।
इस डील के विरोध में लेफ्ट पार्टियों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया। उस समय लेफ्ट के पास तकरीबन 60 सांसद थे। समर्थन वापसी की बात पर सोनिया गांधी डील वापस लेने की बात करने लगीं। हालांकि, शुरुआत में वे इसके समर्थन में थीं। सरकार को सदन में विश्वास मत से गुजरना पड़ा। मनमोहन ने अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति का भीष्म बताते हुए अंतरात्मा की आवाज पर समर्थन मांगा। वाजपेयी ने कुछ कहा तो नहीं, लेकिन मुस्कुरा दिए। मनमोहन सिंह की सरकार ने सपा नेता अमर सिंह की मदद से 19 वोटों से विश्वास मत जीत लिया।