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‘मठ-मंदिरों को बचाने के लिए बच्चों को क्रांतिकारी बनाएं’

‘मठ-मंदिरों को बचाने के लिए बच्चों को क्रांतिकारी बनाएं'

नई दिल्ली: अजमेर की दरगाह और संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे विवाद को लेकर साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बड़ा बयान सामने आया है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि अगर हम अपने मठ मंदिरों को नहीं बचा पाए तो आने वाली पीढ़ी हमें कायर समझेगी. ऐसे में जरूरी है कि हम अपने बच्चों में भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और चंद्रशेखर आजाद जैसा जज्बा पैदा करें. उन्हें क्रांतिकारी बनाएं.

उन्होंने कहा, बच्चों को शास्त्र के ज्ञान के साथ ही शस्त्र की शिक्षा भी दिया जाना बेहद जरूरी है. हालांकि उनका कहना है कि अजमेर और संभल मामलों से पहले पूरा फोकस काशी और मथुरा को लेकर होना चाहिए, क्योंकि इन दोनों जगह से दुनिया भर के सनातनियों की आस्था और भावना दोनों ही जुड़ी हुई हैं. उनका यह भी कहना है कि अगर हिंदुओं के कब्जा किए हुए मठ मंदिर उन्हें वापस नहीं मिले तो नागा संन्यासी उन्हें बचाने के लिए खुद मैदान में उतरेंगे और मोर्चा संभालेंगे.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा- “बाबर और औरंगजेब ने जब भारत में हिंदू मंदिरों को तोड़कर उन पर कब्जा किया था, तब भी देश में बड़ी संख्या में हिंदू रहते थे, लेकिन उस वक्त के हिंदुओं ने उन्हें बचाने के लिए वह कोशिश नहीं की, जिसकी जरूरत थी. इसीलिए आज की पीढ़ी के तमाम लोग उन्हें कायर कहते हैं. आने वाली पीढ़ी हमें कायर ना कहे, इसके लिए जरूरी है कि हमें अपने अंदर वीरता पैदा करनी होगी. हम वीर बनकर ही अपने धार्मिक स्थलों को बचा सकते हैं.”

धर्म की रक्षा खुद ही करनी होगी– महंत रविंद्र पुरी

महंत रविंद्र पुरी ने कहा- “सनातन धर्म हमेशा सर्वे भवंतु सुखिनः यानी सभी के कल्याण की कामना करता है, लेकिन इस कामना के नारे लगाते हुए हम लुट गए- बर्बाद हो गए, ऐसे में अब हमें धर्म की रक्षा खुद ही करनी होगी. अपने धर्म को बचाने के लिए खुद आगे आना होगा. अपने बच्चों को संस्कारवान बनाने के साथ ही उनके अंदर चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह सुभाष चंद्र बोस और गुरु गोविंद सिंह जैसा क्रांतिवीर भी बनाना होगा.”

महंत ने कहा-“अजमेर और संभाल जैसे मामलों से पहले हमारा पूरा फोकस काशी और मथुरा के मंदिरों को बचाने को लेकर होना चाहिए. काशी और मथुरा के मंदिर अभी कट्टरपंथियों के कब्जे में है. हमने बातचीत के जरिए आस्था के इन दो बड़े केंद्रों को हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन कट्टरपंथी इन्हें छोड़ने के लिए कतई तैयार नहीं हुए. इन दोनों जगहों से हमारी भावनाएं सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं इसलिए अयोध्या के राम मंदिर की तर्ज पर पहले इन दोनों मंदिरों को बचाने की कोशिश होनी चाहिए. महंत रवींद्र पुरी ने यह भी कहा है की जरूरत पड़ने पर नागा संन्यासी अपने मठ मंदिरों को बचाने के लिए शस्त्र उठाकर खुद सड़कों पर उतरेंगे और मोर्चा संभालेंगे.”

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