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जैसलमेर बस अग्निकांड: AC में मॉडिफाई करवाई गई थी नॉन एसी बस, दो अफसर सस्पेंड; ACB करेगी जांच

जैसलमेर बस अग्निकांड: AC में मॉडिफाई करवाई गई थी नॉन एसी बस, दो अफसर सस्पेंड; ACB करेगी जांच

जैसलमेर/जोधपुर: राजस्थान में स्लीपर बस अग्निकांड में बुधवार (15 अक्‍टूबर) को सरकार ने एक्शन लिया। हादसे का शिकार हुई बस की बॉडी को चित्तौड़गढ़ में परिवहन विभाग ने अप्रूव किया था। बस बॉडी को अप्रूव करने वाले चित्तौड़गढ़ के कार्यवाहक डीटीओ सुरेंद्र सिंह और सहायक प्रशासनिक अधिकारी चुन्नी लाल को सस्पेंड कर दिया।

हादसे के बाद जब प्रशासन ने बस से जुड़ी जानकारी जुटाई, तो खुलासा हुआ कि यह बस चित्तौड़गढ़ जिला परिवहन अधिकारी (DTO) कार्यालय में पंजीकृत थी। जांच में सामने आया कि बस मालिक ने नियमों की अनदेखी करते हुए नॉन एसी को एसी बस में मॉडिफाई करवा लिया था, जिसकी भनक परिवहन विभाग को भी नहीं लगी। एसीबी की ओर से भी मामले की जांच की जाएगी।

इधर, मंगलवार देर रात पहली एफआईआर दर्ज हुई। हादसे का शिकार हुए पत्रकार राजेंद्र चौहान के भाई ने बस मालिक और ड्राइवर के खिलाफ जैसलमेर के सदर थाने में केस दर्ज कराया। अग्निकांड में मृतकों की संख्या 21 हो गई है। हादसे में झुलसे 10 साल के यूनुस ने बुधवार सुबह इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। महात्मा गांधी हॉस्पिटल के अनुसार 4 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। जैसलमेर से जोधपुर जा रही प्राइवेट AC स्लीपर बस में मंगलवार दोपहर 3.30 बजे आग लग गई थी।

नॉन एसी बस को एसी में मॉडिफाई करवाया था

बस हादसे की जांच अब चित्तौड़गढ़ तक पहुंच गई है। हादसे के बाद जब प्रशासन ने बस से जुड़ी जानकारी जुटाई तो खुलासा हुआ कि यह बस चित्तौड़गढ़ जिला परिवहन अधिकारी (DTO) कार्यालय में पंजीकृत थी। जांच में यह भी सामने आया कि बस मालिक ने नियमों की अनदेखी करते हुए नॉन एसी बस को एसी में मॉडिफाई करवा लिया था, जिसकी भनक परिवहन विभाग को नहीं लगी। हादसे की जानकारी मिलते ही चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग भी हरकत में आ गया और बस से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी गई।

इस बस का पंजीयन पूरी तरह नियमों के तहत नॉन एसी श्रेणी में हुआ था, लेकिन वाहन मालिक ने निजी स्तर पर एसी फिटिंग करवा ली, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। जिला परिवहन अधिकारी नीरज शाह ने बताया कि यह बस 21 मई को बिल हुई थी और लगभग तीन महीने में इसकी बॉडी तैयार की गई। इसके बाद 1 अक्टूबर को बस का पंजीयन हुआ और 14 अक्टूबर को ही यह हादसे का शिकार हो गई। इतनी नई बस में बड़ा हादसा होना कई सवाल खड़े कर रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग में बस का पंजीयन नियमानुसार नॉन एसी वाहन के रूप में हुआ था। वाहन मालिक ने क्या-क्या परिवर्तन करवाए, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।

अब एसीबी भी करेगी जांच

इधर, एसीबी एएसपी विक्रम सिंह राठौड़ ने बताया कि जैसलमेर बस हादसे में एसीबी की ओर से भी जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस मामले में चित्तौड़गढ़ जिले के किन-किन परिवहन अधिकारियों की ओर से पद का दुरुपयोग करते हुए बस मालिक को फायदा पहुंचाया गया है और मानदंडों के अनुरूप नहीं होने के बावजूद भी बस का किस आधार पर फिटनेस जारी किया गया है, इसकी जांच करके रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भिजवाई जाएगी।

शवों की पहचान के लिए DNA सैंपल लिए जा रहे

हादसे में मारे गए लोगों के शवों की पहचान के लिए जोधपुर और जैसलमेर के हॉस्पिटल में डीएनए सैंपल लिए जा रहे है। सैंपल कलेक्शन के प्रोसेस में देरी को लेकर लोगों ने नाराजगी जताई है। इस पर हॉस्पिटल अधीक्षक ने कहा कि वैरिफिकेशन में थोड़ा समय लगता है, ताकि कोई गलती न हो। अधिकतम 24 घंटे में शवों की पहचान की प्रोसेस पूरी हो जाएगी।

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