नई दिल्ली/लखनऊ: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से रात 10 बजे स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन (SpaDeX) लॉन्च किया। PSLV-C60 रॉकेट से दो स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से 470 किमी ऊपर डिप्लॉय किया गया। अब 7 जनवरी, 2025 को इस मिशन में अंतरिक्ष में बुलेट की स्पीड से 10 गुना ज्यादा तेजी से ट्रैवल कर रहे इन दो स्पेसक्राफ्ट्स को कनेक्ट किया जाएगा।
ये मिशन सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। मिशन की कामयाबी पर ही भारत का चंद्रयान-4 मिशन निर्भर है, जिसमें चंद्रमा की मिट्टी के सैंपल पृथ्वी पर लाए जाएंगे। चंद्रयान-4 मिशन को 2028 में लॉन्च किया जा सकता है।
सीएम योगी ने दी बधाई
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार (31 दिसंबर) को सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा- “स्पैडेक्स मिशन के लिए PSLV-C60 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो टीम को बधाई। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, यह उल्लेखनीय उपलब्धि वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की दिशा में नए भारत की यात्रा में एक गौरवपूर्ण मील का पत्थर है। यह अभूतपूर्व उपलब्धि अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी में भारत के लिए नए क्षितिज खोलती है।”
Congratulations to @isro team for the successful accomplishment of the launch of PSLV-C60 for the SpaDeX mission.
Under the visionary leadership of Hon. PM Shri @narendramodi Ji, this remarkable feat marks a proud milestone in New India's journey towards becoming a global space… pic.twitter.com/5keZoN2dkj
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) December 31, 2024
स्पेडेक्स मिशन ऑब्जेक्टिव
- पृथ्वी की निचली कक्षा में दो छोटे स्पेसक्राफ्ट की डॉकिंग और अनडॉकिंग की टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेट करना।
- डॉक किए गए दो स्पेसक्राफ्ट्स के बीच इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसफर करने की टेक्नोलॉजी को डेमोंस्ट्रेट करना।
- स्पेस डॉकिंग का मतलब है स्पेस में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ना या कनेक्ट करना।
स्पेडेक्स मिशन प्रोसेस
- मिशन में दो छोटे स्पेसक्राफ्ट टारगेट और चेजर शामिल है। इन्हें PSLV-C60 रॉकेट से 470 किमी की ऊंचाई पर अलग कक्षाओं में लॉन्च किया गया।
- डिप्लॉयमेंट के बाद, स्पेसक्राफ्ट्स करीब 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल कर रहे हैं। ये रफ्तार कॉमर्शियल एयरक्राफ्ट की रफ्तार से 36 गुना और बुलेट की स्पीड से 10 गुना ज्यादा है।
- अब टारगेट और चेजर स्पेसक्राफ्ट फार-रेंज रेंडेजवस फेज शुरू करेंगे। इस फेज में, दोनों स्पेसक्राफ्ट्स के बीच सीधा कम्युनिकेशन लिंक नहीं होगा। इन्हें जमीन से गाइड किया जाएगा।
- स्पेसक्राफ्ट करीब आते जाएंगे। 5 किमी से 0.25 किमी के बीच की दूरी तय करते समय लेजर रेंज फाइंडर का उपयोग करेगा।
- 300 मीटर से 1 मीटर की रेंज के लिए डॉकिंग कैमरे का इस्तेमाल होगा। वहीं 1 मीटर से 0 मीटर तक की दूरी पर विजुअल कैमरा उपयोग में आएगा।
- सक्सेसफुल डॉकिंग के बाद, दोनों स्पेसक्राफ्ट के बीच इलेक्ट्रिकल पावर ट्रांसफर को डेमोंस्ट्रेट किया जाएगा।
- फिर स्पेसक्राफ्ट्स की अनडॉकिंग होगी और ये दोनों अपने-अपने पेलोड के ऑपरेशन को शुरू करेंगे।
- करीब दो साल तक ये इससे वैल्यूएबल डेटा मिलता रहेगा।