मुंबई: मुंबई ट्रेन धमाके मामले में सोमवार (21 जुलाई) को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रॉसिक्यूशन आरोपियों के खिलाफ केस साबित करने में नाकाम रहा। घटना के 19 साल बाद फैसला आया है।
जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की स्पेशल बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष (प्रॉसिक्यूशन) द्वारा पेश सबूत आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए निर्णायक नहीं हैं। 11 जुलाई, 2006 को मुंबई के वेस्टर्न सबर्बन इलाके की ट्रेनों के सात कोचों में सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इसमें 189 यात्रियों की मौत हो गई थी और 824 लोग घायल हो गए थे।
बम ब्लास्ट के 12 आरोपी कौन हैं
बम ब्लास्ट में जिन 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था, उनमें कमाल अहमद अंसारी (37), तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद फैजल शेख (36), एहतेशाम सिद्दीकी (30), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), मुजम्मिल शेख (27), सोहेल मेहमूद शेख (43), जामिर अहमद शेख (36), नावीद हुसैन खान (30) और आसिफ खान (38) का नाम शामिल है।
प्रेशर कुकर से हुए थे सात ब्लास्ट
मुंबई में 11 जुलाई, 2006 को शाम 6 बजकर 24 मिनट से लेकर 6 बजकर 35 मिनट के बीच एक के बाद एक सात ब्लास्ट हुए थे। ये सभी ब्लास्ट मुंबई के पश्चिम रेलवे पर लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में करवाए गए थे।
खार, बांद्रा, जोगेश्वरी, माहिम, बोरीवली, माटुंगा और मीरा-भायंदर रेलवे स्टेशनों के पास ये ब्लास्ट हुए थे। ट्रेनों में लगाए गए बम आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और कीलों से बनाए गए थे, जिसे सात प्रेशर कुकर में रखकर टाइमर के जरिए उड़ाया गया था।
धमाके का जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा आतंकी आजम चीमा
पुलिस के अनुसार मार्च, 2006 में लश्कर-ए-तैयबा के आजम चीमा ने अपने बहावलपुर स्थित घर में सिमी और लश्कर के दो गुटों के मुखियाओं के साथ इन धमाकों की साजिश रची थी। पुलिस ने कहा था कि मई 2006 में बहावलपुर के ट्रेनिंग कैंप में 50 युवकों को भेजा गया। उन्हें बम बनाने और बंदूकें चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।
2006 में पकड़े गए 13 पाकिस्तानी नागरिक
एंटी टेररिज्म स्क्वैड ने 20 जुलाई, 2006 से 3 अक्टूबर, 2006 के बीच आरोपियों को गिरफ्तार किया। उसी साल नवंबर में आरोपियों ने कोर्ट को लिखित में जानकारी दी कि उनसे जबरन इकबालिया बयान लिए गए। चार्जशीट में 30 आरोपी बनाए गए। इनमें से 13 की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के तौर पर हुई। करीब 9 साल तक केस चलने के बाद स्पेशल मकोका कोर्ट ने 11 सितंबर, 2015 को फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 13 आरोपियों में से पांच दोषियों को फांसी की सजा, सात को उम्रकैद की सजा और एक आरोपी को बरी कर दिया था।
2016 में आरोपियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया
साल 2016 में आरोपियों ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी और अपील दायर की। 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपीलों पर सुनवाई शुरू की। अदालत ने कहा कि इस मामले में विस्तृत दलीलें और रिकॉर्ड की समीक्षा की जाएगी। 2023 से 2024 तक हाईकोर्ट में मामला लंबित रहा, सुनवाई टुकड़ों में होती रही। 2025 में हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी किया।