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आत्मनिर्भर यूपी के विजन को पूरा करने में अहम रोल निभाएगी आईआईए: दिनेश गोयल

आत्मनिर्भर यूपी के विजन को पूरा करने में अहम रोल निभाएगी आईआईए: दिनेश गोयल
  • आईआईए के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश गोयल ने कहा, युवा आगे आएं, उद्योग लगाएं, हम करेंगे मार्गदर्शन 

अभिषेक पाण्डेय

लखनऊ। रामा श्यामा पेपर्स प्राइवेट लिमिटेड (बरेली) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और वैल्यूमेट पैक-एन-प्रिंट के निदेशक दिनेश गोयल को इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आई.आई.ए.) का राष्ट्रीय अध्यक्ष नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। अपने कुशल व्यवहार से लोगों के दिलों में अमिट छाप छोड़ने वाले दिनेश गोयल का कहना है कि वह यूपी को आत्मनिर्भर बनाने के योगी सरकार के विजन के साथ मिलकर काम करेंगे। युवा आगे आएं, उद्योग लगाएं, आईआईए उनका हर संभव मार्गदर्शन और मदद करेगा। उद्योग और उद्यमियों की मदद के लिए वह हमेशा एक फोन पर हाजिर रहेंगे।

1963 में नई दिल्ली में जन्मे दिनेश गोयल चार्टर्ड अकाउंटेंट (सी.ए.) हैं। पिछले 15 वर्षों में उन्होंने आईआईए के साथ कई पदों पर कार्य किया है, जिसमें इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष का पद भी शामिल है। दिनेश गोयल वर्तमान में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, जनरल बॉडी के सदस्य, फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में रिसर्च एनालिसिस ग्रुप (देहरादून) के सदस्य तथा रोहिलखंड इनक्यूबेशन फाउंडेशन एमजेपी रोहिलखंड विश्वविद्यालय के मुख्य सलाहकार (उद्योग) हैं।

दिनेश गोयल को ‘बरेली के गौरव’ के रूप में सम्मानित किया गया है और उन्होंने कई अन्य पुरस्कारों के अलावा कई कॉर्पोरेट उत्कृष्टता पुरस्कार जीते हैं। आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के तुरंत बाद, दिनेश गोयल ने वर्ष 2025-26 के लिए अपनी प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला और सरकारों को एमएसएमई की समस्याओं को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अपनी नई रणनीतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनकी मुख्य प्राथमिकता वैश्विक प्रतिस्पर्धी माहौल में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एम.एस.एम.ई.) को बढ़ावा देना है। पढ़िए आईआईए के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश गोयल से बातचीत के प्रमुख अंश…

 

सवाल: आईआईए से आपका जुड़ाव कब और कैसे हुआ?

जवाब: 1987 में आईआईए के देहरादून चैप्टर की शुरुआत हुई थी। बात 1995 की है, देहरादून में मैं जनार्दन प्लाईवुड नमक फैक्ट्री संचालित करता था। उसी दौरान मैंने संगठन की सदस्यता ली थी।

 

सवाल: अध्यक्ष पद तक की यह यात्रा आपके लिए कैसी रही? किस तरह से उतारचढ़ाव का सामना किया?

जवाब: मैंने आईआईए के विभिन्न पदों पर कार्य किया है। सगठन से जुड़े साथियों के साथ मिलकर सरकारी पॉलिसियों के गठन में सक्रीय भूमिका निभाई। विगत चार वर्षों में जनरल सेक्रेटरी और सीनियर वाईस प्रेसिडेंट के रोल में मैंने सीधे तौर पर सदस्यों के हितों से जुड़े कार्यों को करने की कोशिश की। इस दौरान पास्ट प्रेसिडेंट्स का हर मोड़ पर साथ मिला। संगठन में सक्रीय भूमिका निभाने का ही ये परिणाम है, जिम्मेदारी बहुत बड़ी है और इसका निर्वहन करने की मेरी पूरी कोशिश रहेगी।

 

सवाल: आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी?

जवाब: सीधा और स्पष्ट कार्य विकसित भारत के निर्माण में भरपूर योगदान देना है। पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया आवाहन और सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा किए जा रहे भरसक प्रयास को और अधिक बल देना ही मेरी पहली प्राथमिकता है। इंडस्ट्रीज का एक्सपेंशन, नए प्रोजेक्ट्स पर काम, उद्यमियों की समस्याओं का निदान, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, लोकल टू ग्लोबल से इंडस्ट्रीज को नए स्वरुप में ढालने की कोशिशों पर कार्य किया जाएगा।

 

सवाल: आप एमएसएमई क्षेत्र की कौनकौन सी प्रमुख समस्याओं को प्राथमिकता देंगे?

जवाब: जिन सेक्टर्स में हमारे सदस्यों की संख्या ज्यादा है, उदहारण के तौर पर टेक्सटाइल्स, इंजिनीयरिंग गुड्स, फ़ूड प्रोसेसिंग आदि पर हमारा विशेष फोकस रहेगा। ट्रेवल इंडस्ट्री और आयुष, इनको भी बल देना हमारी प्राथमिकता रहेगी।

 

सवाल: वर्तमान में भारतीय उद्योग जगत किन मुख्य चुनौतियों का सामना कर रहा है?

जवाब: इंटरनेशनल ट्रेड में अपने आप को स्थापित करने की, नए प्रोजेट्स, एआई से जुड़े प्रोजेक्ट्स सबसे बड़ी चुनौती हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में भारतीयों का डंका बजाना है तो इन चुनौतियों से निपटने पर काम करना होगा। हमारी यही तैयारी है। विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा, जब हम इन चुनौतियों से निपटेंगे और इंटरनेशनल ट्रेड में अपने आप को स्थापित कर लेंगे।

 

सवाल: क्या आपको लगता है कि वर्तमान सरकार की नीतियां MSME क्षेत्र के लिए पर्याप्त हैं? आप क्या सुधार सुझाएंगे?

जवाब: पिछले कुछ वक्त से एमएसएमई पर अच्छा-खासा ध्यान दिया जा रहा है। एमएसएमई को प्राथमिकता भी दी जा रही है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को ध्यान में रखकर नीतियों का भी निर्माण किया जा रहा है। हालांकि, अभी और प्रोत्साहन मिलने की जरूरत है और यही हमारा प्रयास है की हम सरकार की नज़र में आएं।

 

सवाल: रोजगार सृजन में आईआईए किस तरह की भूमिका निभा सकता है?

जवाब: उदहारण के तौर पर, एक करोड़ की इन्वेस्टमेंट पर एमएसएमई में छह से आठ कर्मचारियों की नियुक्ति होती है। इसके अलावा क्षेत्रीय विकास भी एमएसएमई के साथ किया जा सकता है। बड़े रोजेक्ट्स को हर जगह नहीं पहुचाया जा सकता है। प्रवासियों को रोज़गार से जोड़ना है तो एमएसएमई को ग्रोथ देना जरूरी है। देश की जीडीपी ग्रोथ में एमएसएमई रीढ़ है और इसका मज़बूत होना बहुत ही आवश्यक है। हम इसी को ध्यान में रखकर ही योजनाओं पर कार्य करेंगे। नए प्रोजेक्ट्स जैसे मेडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, गुड्स पर काम किया जाए तो रोज़गार सृजन की आपार संभावनाएं हैं।

 

सवाल: संगठन को देश के विभिन्न राज्यों में और मजबूत करने की आपकी योजना क्या है?

जवाब: सदस्यों की समस्याओं को मंच देना सबसे जरूरी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये संगठन सदस्यों के हितों के लिए ही बनाया गया है। सदस्यों की समस्या ही ग्रोथ में बाधक है और इसी बाधा को हटाने का कार्य करना है। सरकार अपने स्तर पर कार्य कर रही है, लेकिन हमें भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी उठानी होगी।

 

सवाल: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए आईआईए क्या भूमिका निभा सकता है?

जवाब: योगी आदित्यनाथ सरकार की वजह से विदेशी इन्वेस्टमेंट की कोई कमी नहीं है। सरकार की सक्रियता की वजह से ये संभव हो रहा है। अब हमें भी जिम्मेदारी उठानी है और योजना बना कर इसपर काम करना है।

 

सवाल: नेतृत्व में आपकी सबसे बड़ी प्रेरणा कौन है?

जवाब: आईआईए के पूर्व अध्यक्षों की कड़ी मेहनत ही मेरी प्रेरणा है। पिछले कई वर्षों में हमने सरकार को उद्यमी और उद्योग की कई समस्याओं से अवगत कराया और ब्रेकर्स को हटाने की कोशिश की। कई बार हम सफल भी हुए और असफलता भी मिली। हालांकि, सभी से सीख लेना भी एक प्रेरणा की तरह है।

 

सवाल: युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे, जो व्यवसाय की ओर जाना चाहते हैं?

जवाब: उद्यमी अपने उद्योग की समस्याओं को हमारे पास भेजें, उसके निदान की जिम्मेदारी हमारी है। समस्याओं की बजाय युवाओं को ग्रोथ पर फोकस करना होगा। डिजिटलाइजेशन और एआई को महत्वपूर्ण स्थान दें। प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने पर फोकस होकर कार्य को अंजाम दें।

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