Fake Medicines: मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने नकली दवाओं पर निगरानी व्यवस्था सख्त करने का फैसला किया है। सरकार इस पर नया कानून लाने की तैयारी में है, जिससे दवाओं की गुणवत्ता, जांच और बाजार निगरानी को कानूनी मजबूती दी जा सके। सरकार इस विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश करने की योजना है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने की अध्यक्षता में स्वास्थ्य मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक में ड्रग कंट्रोलर डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने ‘दवा, चिकित्सा उपकरण और कॉस्मेटिक्स अधिनियम 2025’ का मसौदा पेश किया। बैठक में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रस्तावित कानून की रूपरेखा रखी।
सीडीएससीओ की 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार, जांच की गई करीब 5,500 दवाओं में से 3.2 प्रतिशत नमूने सबस्टैंडर्ड या नकली पाए गए। वहीं, पिछले दो वर्षों में 40 से अधिक फार्मा इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। मध्य प्रदेश की घटना से पहले हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु में भी घटिया सिरप से बच्चों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं। कई मामलों में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) नामक रसायन की मिलावट पाई गई।
पहली बार केंद्रीय एजेंसी को मिलेगी शक्ति
सूत्रों के मुताबिक, बिल के तहत पहली बार सीडीएससीओ को वैधानिक शक्तियां दी जाएंगी, ताकि नकली या घटिया दवाओं के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल करने, राज्य स्तर के नियामकों के बीच बेहतर समन्वय, और प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाने जैसे प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।
पुराने कानून की जगह लेगा नया अधिनियम
अधिकारियों का कहना है कि यह नया कानून पुराने अधिनियम 1940 की जगह लेगा और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य दवा निर्माण से लेकर बाजार में बिक्री तक हर स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।