लखनऊ: सुल्तानपुर जिले के सूरापुर (बिजठुआ हनुमान धाम) के पास नौ जुलाई की ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के प्रवास के समय कुछ लोगों ने उन्हें रोककर उनका सम्मान किया। साथ ही विद्युत आपूर्ति से संबंधित समस्याएं भी बताईं। मंत्री द्वारा उनकी बातों को धैर्य, ध्यान एवं सौम्यतापूर्वक सुना और उचित कार्यवाही का आश्वासन भी दिया। उस दिन विद्युत आपूर्ति की वास्तविक स्थिति से मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने जनसामान्य को सोशल मीडिया पर अवगत कराया है।
सूचना के अनुसार, सुल्तानपुर जिले में 16 घंटे से 18 घंटे न्यूनतम बिजली दी गई है। शहरी क्षेत्रों में 22-24 घंटे बिजली दी जा रही है। सुल्तानपुर जिले के कुल 158 फीडरों में से मात्र 1 कादीपुर फीडर पर ही उस दिन 15 घंटे या कम बिजली दी गई है। इस क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति में लापरवाही के लिए मंत्री जी के आदेशानुसार जांच के बाद उमांकर यादव तकनीशियन विद्युत, कादीपुर विद्युत वितरण उपखंड को निलंबित कर दिया गया है।
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने कही ये बात
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने यह भी कहा है कि सोशल मीडिया पर यह प्रसारित किया जा रहा है कि जनपद सुल्तानपुर के विभिन्न क्षेत्र में 3-4 घंटे की विद्युत आपूर्ति की जा रही है। यह खबर भ्रामक है। किसी भी क्षेत्र में इतनी कम विद्युत आपूर्ति नहीं की जा रही है। जनपद के सभी क्षेत्रों में रोस्टर के अनुसार विद्युत आपूर्ति की जा रही है।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि फीडर पर तकनीकी काम करने का आदेश दे दिया है। साथ ही निर्देश दिया है कि कम बारिश के कारण कृषि में बढ़ी हुई मांग के दृष्टिगत अब सब स्टेशन पर 24 घंटे विद्युत दी जाएगी, जिससे उपभोक्ता को रोस्टर के मुताबिक विद्युत मिल सके। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल से उत्तर प्रदेश के इतिहास में अब तक की सबसे ज़्यादा बिजली दी जा रही है। 2012
वायरल वीडियो पर भी बोले
ऊर्जा मंत्री ने राजनीति करने वाले लोगों को चेतावनी भी दिया और कहा कि हमारे विरोधी उस प्रसंग के सारे वीडियो भी देखने का कष्ट करें और बिजली आपूर्ति का अपने समय का रिकॉर्ड भी देखने का कष्ट करें। आपके समय बिजली कभी आ जाती थी तो समाचार बनता था, अब कभी गड़बड़ हो जाए तो चर्चा होती है। उसे सहर्ष स्वीकार कर जल्द ही ठीक कर लिया जाता है।
मंत्री एके शर्मा ने कहा कि जनहित सर्वोपरि है। जनता की सुरक्षा एवं सेवाओं की गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसमें लापरवाही बरतने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बक्शा नहीं जाएगा उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए।