लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को प्रदेश के सभी 17 नगर निगम के कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। गुस्साए कर्मचारियों ने नगर निगम के मुख्यालय समेत जोनल कार्यालयों में ताला जड़ दिया, जिससे कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया। नगर निगम कार्यालयों में पहुंचे लोगों के काम नहीं हुए।
प्रदेशभर से आए कर्मचारी आज सुबह लखनऊ नगर निगम मुख्यालय पर एकत्रित हुए। वहां करीब 2 घंटे तक नारेबाजी की। उसके बाद हजरतगंज महात्मा गांधी प्रतिमा पर पहुंचे। वहां पर जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारी वेतन विसंगति और पीएफ भुगतान नहीं होने सहित अन्य मामलों को लेकर नाराज व्यक्त की। मौके पर पहुंचे ACM चंद्र भूषण तिवारी को ज्ञापन सौंपा। उसके बाद प्रदर्शन खत्म हुआ।
नगर निगम में कामकाज ठप
लखनऊ नगर निगम के मुख्यालय और सभी आठ जोन में कामकाज ठप हो गया। कर्मचारियों ने सभी आठ जोन और मुख्यालय पर ताला जड़ दिया। इस दौरान ऑफिस टाइम के समय में मुख्यालय की बिजली भी काट दी गई। इसके चलते कर्मचारी और अधिकारी मुख्यालय से चले गए। वहीं, बचे कर्मचारी धरने में शामिल हो गए। कामकाज ठप हाेने से जलकल, इंजीनियरिंग, अधिष्ठान, विज्ञापन, टैक्स सहित अन्य काम प्रभावित हुआ। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं बने।
प्रदेश के सभी नगर निगम से कर्मचारी धरना प्रदर्शन देने के लिए पहुंचे। इसमें अयोध्या, गाजियाबाद, आगरा, सहारनपुर, प्रयागराज सहित अन्य जगहों के कर्मचारी शामिल रहे। कर्मचारियों का कहना है कि अगर तय समय तक मांग नहीं मानी गई, तो पूर्ण कार्य बहिष्कार किया जाएगा।
आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिल रहा है: शशि कुमार
उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा ने कहा कि कई बार बैठकें हुईं। ज्ञापन दिया गया। धरना-प्रदर्शन किया गया, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। केंद्रीय सेवा नियमावली को लागू करने की मांग की गई है। आजादी का 78 साल बाद भी सरकार ने यह लागू नहीं किया है। 9 अक्टूबर से 9 नवंबर तक यदि कर्मचारियों की मांग नहीं मानी गई, तो पूरी तरीके से काम का बहिष्कार किया जाएगा। हमारी मांगों को नहीं माना गया, तो 10 नवंबर से बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के नगर निगम कर्मचारियों की 10 मुख्य मांगें
- निकाय कर्मचारियों की अकेंद्रित सेवा नियमावली बनाई 1 जाए। इससे पदोन्नति, और वेतन विसंगति आदि का समाधान हो पाएगा।
- वर्ष 2001 तक सेवारत् दैनिक वेतन, संविदा कर्मचारियों के 2 लिए लगभग 9 वर्षों से विनियमतीकरण नहीं हो सका है।
- दैनिक वेतन, संविदा कर्मियों का विनियमितीकरण नहीं 3 किया गया। इसमें शासनादेश अमल में लाया जाए।
- 6वें वेतन आयोग की संस्तुतियों के बाद निकायों के लिपिक 4 संवर्ग, राजस्व संवर्ग कर्मियों के लिए एकल व्यवस्था लागू कर राज्य कर्मचारियों की भांति हांचा प्रभावी किया जाय।
- 5 निकाय कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की व्यवस्था की जाए।
- मृतक आश्रितों की नियुक्ति निकायों में सफाई कर्मचारियों 6 सहित सभी संवगों के मृतक आश्रितों की नियुक्ति उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार समयबद्ध की जाए।
- सेवा आदेश-1963 उक्त सेवा आदेश को आज की 7 आवश्यकतानुसार बढ़ी हुई आबादी और बढ़े हुए कार्यक्षेत्र के अनुरूप संशोधित कर नए पद सृजित किए जाएं।
- वर्ष-2004 के बाद नियुक्त निकाय कर्मचारियों को पुरानी 8. पेंशन व्यवस्था बहाल की जाय। अन्य कोई विकल्प निकाय कर्मचारियों को स्वीकार नहीं है।
- 9 निकायों में और बेहतर कार्य प्रणाली और अधिकारों के लिए 74वां संविधान संशोधन लागू किया जाय। विधान परिषद निर्वाचन में निकाय कर्मचारियों को वोट देने का अधिकार और भागीदारी सुनिश्चित की जाय।
- आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती नीति, सेवा सुरक्षा, पद के 10 अनुरूप न्यूनतम वेतनमान और भविष्य में रिक्त होने वाले पदों पर समायोजन आदि की व्यवस्था की जाय।