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चीन ने अंतरराष्ट्रीय विवाद सुलझाने के लिए बनाया नया संगठन, PAK-क्यूबा समेत 30 देश बने सदस्‍य

चीन ने अंतरराष्ट्रीय विवाद सुलझाने के लिए बनाया नया संगठन, PAK-क्यूबा समेत 30 देश बने सदस्‍य

बीजिंग: चीन ने अंतरराष्ट्रीय विवाद सुलझाने के लिए ‘इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर मिडिएशन (IOMed)’ नाम का एक नया संगठन बनाया है। इसे इंटरनेशनल कोर्ट (ICJ) और परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन जैसे संस्थानों के विकल्प के तौर पर पेश किया गया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने IOMed को मध्यस्थता के जरिए अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने वाला दुनिया का पहला ‘सरकारों के बीच का कानूनी संगठन’ (इंटर-गवर्नमेंटल कानूनी संगठन) बताया।

हेड ऑफिस हॉन्गकॉन्ग में होगा

हॉन्गकॉन्ग में आयोजित एक हाई लेवल समारोह में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने IOMed की स्थापना के समझौते को औपचारिक रूप दिया। इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बेलारूस, क्यूबा और कंबोडिया उन 30 से देशों में शामिल थे, जो चीन के साथ इस संगठन के संस्थापक सदस्य बने। लगभग 50 देशों और संयुक्त राष्ट्र समेत 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी समारोह में मौजूद थे।

IOMed और इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अंतर (दोनों संगठन अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के लिए बने हैं)

IOMed

  • 30 मई 2025 को चीन ने हॉन्गकॉन्ग में इसकी स्थापना की, चीन का प्रभाव ज्यादा।
  • इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बेलारूस, क्यूबा, कंबोडिया समेत 30 देश संस्थापक सदस्य।
  • सिर्फ मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझाने का मकसद।
  • समझौता स्वैच्छिक होगा, अगर कोई पक्ष सहमत नहीं हुआ तो कोई फैसला नहीं होगा।
  • इसमें देशों के साथ-साथ दूसरे देश के नागरिक और अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संगठन मामले दायर कर सकते हैं।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस

  • इसका मुख्यालय नीदरलैंड के द हेग में है, 1945 में स्थापना।
  • इसमें 15 जज होते हैं, जिन्हें UN महासभा और सुरक्षा परिषद 9 साल के लिए चुनते हैं।
  • यह UN चार्टर के तहत काम करता है, सभी UN सदस्य देश इसके मेंबर होते हैं।
  • यह एक औपचारिक अदालत है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर बाध्यकारी फैसले देती है।
  • सिर्फ देश ही इसमें मामले दायर कर सकते हैं।

सिर्फ मध्यस्थता के लिए काम करेगा

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन दुनिया के मुद्दों को बातचीत और समझदारी से हल करना चाहता है, लड़ाई-झगड़े से नहीं। उन्होंने कहा कि IOMed की स्थापना ‘तुम हारो, मैं जीतूं’ की सोच को पीछे छोड़ने में मदद करेगी। इसका मकसद देशों के बीच और दूसरे देश के नागरिकों के बीच, या अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संगठनों के बीच विवादों को हल करना है। यह सिर्फ मध्यस्थता के जरिए अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के लिए बनाया गया है।

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