उत्तर प्रदेश, राजनीति

साइबर ठगी के शिकार हुए कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के बेटे, UPI आईडी से हड़पी रकम

साइबर ठगी के शिकार हुए कैबिनेट मंत्री संजय निषाद के बेटे, UPI आईडी से हड़पी रकम

गोरखपुर: यूपी कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद के बेटे डॉ. अमित कुमार निषाद साइबर जालसाजी का शिकार हो गए हैं। जालसाजों ने उनके मोबाइल नंबर की मदद से न सिर्फ फर्जी बैंक खाता खुलवा लिया, बल्कि उस पर UPI भी सक्रिय कर दी। इसके बाद से डॉ. अमित को भेजी जाने वाली सारी रकम जालसाजों के खाते में जाने लगी।

यह मामला संज्ञान में आने के बाद जंगल सालिकराम निवासी डॉ. अमित की तहरीर पर शाहपुर पुलिस ने समरीन अली नाम के व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में पता चला कि समरीन ने दिल्ली में बैंक ऑफ बड़ौदा की मंडावली शाखा में यह फर्जी खाता खुलवा रखा है। शनिवार को पुलिस ने इस संदिग्ध खाते की डिटेल निकलवाई। पुलिस साइबर सेल की मदद से जांच कर रही है। जालसाज यह काम कई महीनों से कर रहे थे। उन्होंने अब तक कितनी रकम का फर्जीवाड़ा किया है यह पता नहीं चल सका है।

50 हजार के लेन-देन के बाद चला फर्जीवाड़े का पता

डॉ. अमित की पुलिस को दी गई तहरीर के मुताबिक, उनका मोबाइल नंबर कई महत्वपूर्ण संपर्कों, संगठन और अनुदानों से जुड़ा है। पिछले कुछ महीनों से कोई भी भुगतान उनके खाते में नहीं हो रहा था। किन्हीं कारणों से उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। पिछले हफ्ते उनके एक परिचित ने उनके अकाउंट में 50 हजार रुपये भेजे। उन्होंने जब इसके बारे में पूछा तो फोन में किसी लेनदेन का कोई मैसेज नहीं था।

इसके बाद उन्होंने बैंक खाते की डिटेल निकलवाई। उससे पता चला कि समरीन अली नामक व्यक्ति ने उनके मोबाइल नंबर का दुरुपयोग करते हुए फर्जी बैंक खाता और यूपीआई आईडी बना रखी है, जिसमें उनके नंबर की यूपीआई आईडी पर भेजी जाने वाली सारी रकम जा रही है। यह खेल लंबे समय से चल रहा है।

दर्ज किया गया मामला

इस संबंध में शाहपुर थाना प्रभारी नीरज राय ने बताया कि डॉक्टर की तहरीर पर समरीन अली के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। जांच निरीक्षक अवधेश तिवारी को सौंपी गई है। जालसाज की पहचान के लिए साइबर सेल की भी मदद ली जा रही है।

वहीं, गोरखनाथ सीओ रवि सिंह ने बताया कि डॉ. अमित कुमार निषाद की तहरीर के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है। साइबर सेल की भी मदद ली जा रही है। जल्द ही जालसाजों का पता लगा लिया जाएगा। साक्ष्यों के आधार पर आगे कानूनी कार्रवाई होगी।

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