Bharat Bandh: सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के खिलाफ बुधवार (21 अगस्त) को 14 घंटे का भारत बंद बुलाया गया है। आज दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है।
भारत बंद का सबसे ज्यादा असर बिहार में देखा जा रहा है। आरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को रोका गया। कुछ जिलों में प्रदर्शनकारी सड़क पर आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। वहीं राजस्थान के जयपुर, भरतपुर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर समेत विभिन्न राज्यों के कई शहरों में एहतियातन स्कूल और कोचिंग सेंटर की छुट्टी की गई है। भरतपुर में इंटरनेट बंद है। अलवर में रोडवेज बसें बंद की गई हैं।
कई दलों ने दिया राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन
नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (NACDAOR) ने कोर्ट के सुझाव को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। साथ ही केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और वाम दलों ने इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन दिया है। JMM ने अपने सभी नेताओं, जिला अध्यक्षों, सचिवों और जिला समन्वयकों से इस हड़ताल में भाग लेने को कहा है।
भारत बंद पर पार्टियों ने क्या कहा?
- जेएमएम महासचिव विनोद कुमार पांडे ने कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला SC-ST वर्गों के उत्थान और मजबूती के मार्ग में बाधा साबित होगा।
- आजेडी के प्रदेश महासचिव कैलाश यादव ने कहा कि पार्टी ने अपना समर्थन देने और एक दिवसीय हड़ताल में भाग लेने का फैसला किया है।
- कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि पार्टी ने भी बंद के आह्वान को समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग की है।
- NACDAOR सुप्रीम कोर्ट के सात न्यायाधीशों की पीठ के दिए गए एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के विरोध में है। संगठन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट हालिया फैसला ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ के पहले के फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण के लिए रूपरेखा स्थापित की थी। वर्तमान फैसला SC-ST के संवैधानिक अधिकारों को खतरा पहुंचाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी रिजर्वेशन में कोटे में कोटा को दी थी मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया था। राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा था। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह हैं, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता।
शीर्ष अदालत ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी थी। कहा था कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का था। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है।